बीमार स्वास्थ्य सेवाओं ने ली पहाड़ के युवा की जान, 4 अस्पतालों ने किया रेफर, रास्ते में तोड़ा दम, DG ने मांगी रिपोर्ट

रैबार डेस्क: पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं बीमार हैं ये किसी से छिपा नहीं। आए दिन डॉक्टरों की कमी. उपचार न मिल पाना और फिर दूसरे हायर सेंटर को रेफर कर देना। ये मानों पहाड़ की नियतु सी बन गई है। पौड़ी के नौनीडांडा में 24 साल के एक युवा की इस रेफरल सिस्टम ने जान ले ली। परिजम युवक को लेकर एक अस्पताल के बाद दूसरे अस्पताल ले जाते रहे। लेकिन डॉक्टर नहीं मिले, इलाज नहीं मिला, नतीजा अमित ने रास्ते में दम तोड़ दिया। और तो और नैनीडांडा के स्वास्थ्य प्रभारी से जब परिजनों ने गुहार लगाई तो दो टूक जवाब मिला कि जो करना है कर लो। मामला तूल पकड़ता देख स्वास्थ्य महानिदेशक ने मामले की रिपोर्ट मांगी है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनीता शाह ने बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है और पौड़ी सीएमओ से उन्होंने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। यह मामला न्यूरो से जुड़ा हुआ है, क्योंकि प्रदेश ही नहीं पूरे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है और यही कारण है कि उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर किया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इस पूरे मामले की रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा। स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि अगर मामले में किसी की भी लापरवाही सामने आएगी, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
4 अस्पतालों ने किया रेफर, रास्ते में तोड़ा दम
बता दें कि पौड़ी के नौनीडांडा ब्लॉक के देवलधर गांव का रहने वाला अमित रावत कुछ दिनों पहले पूजा में शामिल होने के लिए दिल्ली से गांव आया था। 22 मई की रात को अमित की अचानक तबीयत खराब हो गई, जिसके बाद ग्रामीण चारपाई पर रखकर उसे दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर सड़क पर लाए। यहां से 108 के माध्यम से अमित को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धुमाकोट ले गए। लेकिन वहां पता चला कि दो माह से अस्पताल में डाक्टर ही नहीं है। लिहाजा परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीडांडा ले गए। यहां डाक्टर ने उपचार के बाद अमित को सीएचसी रामनगर रेफर कर दिया। रामनगर में सीटी स्कैन किए जाने के बाद डाक्टरों ने मरीज को मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी रेफर कर दिया। सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में न्यूरो फिजीशियन न होने के कारण अमित को दिल्ली रेफर कर दिया। परिजनों ने बताया कि दिल्ली ले जाते समय अमित ने आधे रास्ते में दम तोड़ दिया।
यानी धुमाकोट से नैनीडांडा, नैनीडांडा से रामनगर, रामनगर से हल्द्वानी और हल्द्वानी से दिल्ली तक चले इस रेफरल सिस्टम ने एक य़ुवा की असमय जिंदगी छीन ली।
परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए डीएम और सीएमओ पौड़ी से मामले में कार्रवाई किए जाने की मांग की है। यही नहीं परिजनों ने जब नैनीडांडा के प्रभारी चिकित्साधिकारी से डॉक्टरों की कमी पर सवाल किया तो प्रभारी उल्टा धमकाने लगे कि तुम्हें जो करना है कर लो।