2025-12-11

शाबाश अंकित, गुलदार से बचाई महिला की जान, पोखड़ा ब्लॉक में गुलदार ने महिला को किया घायल, गंभीर हालत में एम्स रेफर

रैबार डेस्क: पौड़ी जिले में गुलदार और का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। पौड़ी और जयहरीखाल ब्लॉक में गुलदार बाघ के हमलों से मौत का खौफ अभी छंटा भी नहीं था कि अब पोखड़ा ब्लॉक में गुलदार ने एक महिला को गंभीर रूप से घायल कर दिया। भला हो गांव के एक बहादुर युवा का जिसने पत्थरों से हमला करते हुए गुलदार को भगाया और महिला की जान बच सकी।फिलहाल महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया है।

 जानकारी के मुताबिक पोखड़ा ब्लॉक के ग्राम देवराड़ी में बुधवार को गांव की महिलाएं गांव के नजदीक घास काट रही थी। इस दौरान लगभग 11.15 पर घात लगाए गुलदार ने महिला कंचन देवी पत्नी अर्जुन सिंह उम्र 36 वर्ष पर हमला कर दिया। महिला की चीख सुनकर स्थानीय युवा अंकित और जयदीप ने बहादुरी दिखाई पत्थर चलाकर गुलदार को महिला से दूर किया। लोगों का शोर सुनकर गुलदार भाग खड़ा हुआ।

घायल कंचन देवी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोखड़ा से प्राथमिक उपचार के बाद कोटद्वार अस्पताल ले जाया गया जहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए ऋषिकेश एम्स के लिए एयरलिफ्ट किया गया। । क्षेत्र में बढञ रही गुलदार की सक्रियता से आक्रोशित लोगों ने रेंज ऑफिसर को बंधक बना दिया ।जिसके बाद डीएफओ के आने के आश्वासन और पिंजरा लगाने के लिए रेंज अधिकारी को छोड़ा गया। स्थानीय लोगों ने वन विभाग से गाँव में रात्रि गश्त बढ़ाने और गुलदार की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि बीते कुछ महीनों से क्षेत्र में लगातार जंगली जानवरों की आवाजाही बढ़ी है, जिससे लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है।

पौड़ी जनपद में मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। 6 दिसंबर को पौड़ी से सटे गजल्ट गांव में गुलदार ने 42 साल के व्यक्ति को निवाला बना लिया था, इसके बाद जयहरीखाल ब्लॉक में भी बाघ ने महिला को निवाला बनाया था। दो दिन पहले जब गढ़वाल कमिश्नर गजल्ट गांव में मृतक के परिजनों के बीच पहुंचे थे, उसी दौरान वहां से एक किलोमीटर दूर सिरोली गांव में गुलदार ने बकरियों पर हमला कर दिया था।

लेकिन मानव वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं का विभाग के पास कोई जवाब नजर नहीं आ रहा है। इसे रोकने में शासन प्रशासन एक बार फिर नाकाम होता दिख रहा है। अब समय आ गया है कि हमें एक ठोस नीति बनानी बेहद जरूरी है।  

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