बागेश्वर:राशन कार्ड सत्यापन के लिए पहाड़ की चोटी चढ़ रहे लोग, तस्वीरों ने खोली डिजिटल इंडिया की पोल
रैबार डेस्क: सरकारी दावों में भारत भले ही डिजीटल बन गया हो, लेकिन उत्तराखंड के कई गावों में आज भी नेटवर्क की समस्या विकराल बनी हुई है। बागेश्वर के कपकोट से आई कुछ तस्वीरों ने डिजटल इंडिया अभियान की हकीहत को बयां किया है। दरअसल यहां राशन कार्ड सत्यापन के लिए ईकेवाईसी करवाने के लिए ग्रामीणों को गांव से करीब 300 मीटर ऊंचाई पर स्थित चोटी तक चढ़ना पड़ रहा है। ताकि यहां सिग्नल मिल सकें और ई केवाईसी पूरा हो सके।
कपकोट ब्लॉक के रातिरकेटी गांव के राशन कार्डधारकों को बायोमेट्रिक केवाईसी कराने के नेटवर्क ढूंढने पड़ रहे हैं। नेटवर्क के लिए वे डेढ़ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर 300 मीटर ऊंची चोटी पर पहुंच रहे हैं। यहां ठंड और ठिठुरन के बीच पत्थरों के बीच परिवार सहित बैठकर डिजिटल सत्यापन कराना पड़ रहा है।
दरअसल राशन कार्ड की वैधता बनाए रखने के लिए प्रत्येक कार्डधारक को बायोमेट्रिक केवाईसी कराना अनिवार्य है। कपकोट के दुर्गम गांव रातिरकेटी में सौ से अधिक परिवार हैं और आबादी करीब 700 है। लेकिन गांव में नेटवर्क की समस्या बायोमेट्रिक केवाईसी में बाधक बन रही है। इसके लिए ग्रामीणों को 300 मीटर ऊंची थेराघांघव की चोटी पर जाना पड़ रहा है। ग्रामीण सुबह होते ही बच्चों को गोद में उठाकर दोपहर का खाना लेकर चोटी पर पहुंच जाते हैं। यदि नेटवर्क पकड़ में आ गया तो ठीक, वर्ना शाम तक सर्द हवाओं के बीच पत्थरों पर बैठे रहना उनकी मजबूरी बन गया है। ग्राम प्रधान कलावती देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य पुष्पा देवी, विजय मेहता, देव सिंह, लक्ष्मण सिंह, तारा सिंह, आन सिंह, लाल सिंह, दलीप सिंह आदि का कहना है कि उनका गांव आज भी डिजिटल इंडिया से कोसों दूर है। केवाईसी कराने के लिए ग्रामीणों को हर दिन चोटी पर पहुंचना पड़ रहा है।
डीई बीएसएनएल आशीष निगम के मुताबिक रातिरकेटी में लगे बीएसएनएल टावर में खराबी आने की कोई शिकायत नहीं है। लेकिन नेटवर्क की समस्या किस कारण से हुई है इसकी जांच की जाएगी। और अगर कोई तकनीकी दिक्कत होगी तो उसे जल्द दूर किया जाएगा।


