2025-09-11

नगर निगम संशोधन विधेयक पर भाजपा विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरा, प्रवर समिति को सौंपा गया बिल

रैबार डेस्क : गैरसैंण में तीन दिन तक चला विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त हो गया है। शुक्रवार को सरकार ने विधानसभा में कई अहम विधेयक पारित कराए, लेकिन ऐसा भी नजारा देखने को मिला जब भाजपा के ही विधायकों ने विधेयकों को जल्दबाजी में पारित कराने के लिए सरकार को जमकर घेरा। भाजपा विधायकों नगर निगम संशोधन विधेयक के तहत ओबीसी आरक्षण के निर्धारण को लेकर सरकार से सवाल किए। जिसके बाद इस बिल को प्रवर समिति को सौंप दिया गया।
विनियोग विधेयक, उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2024, सहित कई अहम विधेयक सदन में एक एक कर पारित कराए जा रहे थे। इसी तरह उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916) संशोधन विधेयक 2024 भी ध्वनिमत से पारित हो गया। धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने इस पर हस्तक्षेप की मांग की तो स्पीकर ने कह दिया कि बिल पारित हो चुका है। लेकिन जैसे ही स्पीकर ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक 2024 को पारित कराने के लिए संस्तुति देनी चाही, भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने ओबीसी आरक्षण पर स्पष्टीकरण की मांग की। उन्होंने स्पीकर से मांग की कि आपको इस विधेयक पर चर्चा की अनुमति देनी चाहिए।
मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि उत्तराखंड में कई जगह जातियों और क्षेत्र के आधार पर हैं। लेकिन आमतौर पर देखने में आता है कि बाहरी प्रदेशों के लोग उसी जाति के आधार पर उत्तराखंड में भी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। चौहान ने कहा कि सरकार आए दिन रैपिड सर्वे करवाकर ओबीसी की सूची तय कर देती है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। चौहान ने मांग की कि सरकार को इस पर स्प्ष्ट करना चाहिए कि ओबीसी आरक्षण के लिए किन किन को पात्र माना गया औऱ कैसे आरक्षण निर्धारित किया गया।
भाजपा के विधायकों, प्रीतम सिंह, विनोद चमोली, दुर्गेश्वर लाल आर्य ने भी इस पर ऐतरा जताया। और बिल को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। नगर निगम संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को सौंपनेके लिए स्पीकर और संसदीय कार्य मंत्री राजी हुए तो फिर से मुन्ना सिंह चौहान ने मांग कर डाली कि उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916) संशोधन विधेयक औऱ नगर पंचायत विधेयक के प्रावधान भी नगर निगम संशोधन विधेयक के जैसे ही हैं। अत: अगर नगर निगम विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा जा सकता है तो नगर पालिका और नगर पंचायतों के विधेयक को क्यों नहीं। काफी देर बहस के बाद ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के लिए नगर निगम संशोधन विधेयक, नगर पंचायत संशोधन विधेयक, नगर पंचायत संशोधन विधेयक तीनों बिल प्रवर समिति को सौंप दिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed