2025-09-12

देहरादून की महिला को 30 घंटे तक रखा डिजीटली बंधक, साइबर ठगों ने ठगे 10.50 लाख रुपए

रैबार डेस्क:     हेलो…मैं फलां पुलिस/ क्राइम ब्रांच/ईडी अफसर बोल रहा हूं। आप डिजिटल अरेस्ट कर ली गई हैं। जो भी पूछा जाए उसका सही-सही जवाब दो, नहीं तो मुंबई क्राइम ब्रांच आना होगा। ऐसी कॉल पर साइबर ठग आजकल सैकड़ों लोगों को ऑनलाइन बंधक बना रहे हैं। देहरादून की एक महिला को भी साइबर ठगों ने भी ऐसे ही 30 घंटे तक ऑनलाइन बंधक बनाकर रखा और डर दिखाकर उससे 10.5 लाख रुपए ठग लिए।

दरअसल एकता सिंह, पत्नी संदीप रावत निवासी मॉडल कालोनी, आराघर ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि 31 जुलाई को उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आई। फोन करने वाले ने उनसे कहा कि आपके नाम से अवैध कोरियर थाईलैंड जा रहा था, जिसे मुंबई एयरपोर्ट पर रोका गया है। फोन करने वाले ने कहा कि उनकी कॉल क्राइम ब्रांच मुंबई ट्रांसफर की जा रही है। ठगों ने एकता को स्काइपे में वीडियो कॉल पर लॉगिन करवाया। वीडियो कॉल पर लगातार 30 घंटे तक उनसे फर्जी पूछताछ का ढोंग किया गया और क्राइम ब्रांच के अफसरों का रौब दिखाकर अरेस्ट करने का डर दिखाया गया। ठगों ने कहा कि वो कार्रवाई पूरी होने तक डिजीटली अरेस्ट हैं, और इसके फर्जी दस्तावेज ऑनलाइन भेजे गए। एकता को डराने के लिए बार-बार मुंबई क्राइम ब्रांच ऑफिस आने का दबाव बनाया गया। इसके बाद महिला को मुकदमे से बचाने के लिए महिला से एक बैंक खाते में 10 लाख 50 हजार रुपए जमा करा लिए गए।

इसके बाद कहा गया कि उनके मामले को साइबर क्राइम सेल को भेजा जा रहा है और कॉल बंद कर दी गई। बाद में महिला को अपने साथ ठगी होने का एहसास हुआ तो बीते 1 अगस्त को महिला ने इसको लेकर साइबर पोर्टल पर रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद बीते शनिवार को डालनवाला थाने में तहरीर दी। फिलहाल पुलिस मामले की पड़ताल में जुट गई है। महिला की शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

थाना डालनवाला प्रभारी मनोज नैनवाल ने बताया कि पीड़ित महिला की शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपी को खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। महिला ने कुछ दिन पहले कोई कूरियर किया था। इसका डाटा ठगों ने चोरी कर लिया था। महिला द्वारा जिन खातों में रुपए जमा किए गए, वह खाते चंद्र इंटरनेशनल जीटी रोड कानपुर के नाम पर हैं। साथ ही मोबाइल नंबरों के आधार पर आरोपियों की तलाश की जा रही है।

डिजिटल अरेस्टिंग ठगी का नया तरीका

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है, जिसके जरिए साइबर अपराधी लोग अपने शिकार को बंधक बना लेते हैं। खुद को पुलिस, सीबीआई, कस्टम या अन्य किसी एजेंसी का बड़ा अधिकारी बात कर धमकी देते हैं कि उनके खिलाफ कानून उल्लंघन का गंभीर मामला दर्ज है। कई बार आपको ऐसे वीडियो कॉल या फोन कॉल आ सकते हैं जिसमें आपको कहा जाता है कि आप डिजीटली रूप से अरेस्ट हैं। फिर क्राइम ब्रांच या ईडी या कस्टम का डर दिखाकर आपसे घंटों पूछताछ की जाती है। इस दौरान आप वीडियो कॉल या फोन कॉल से जुड़े रहते हैं, यानी आप ऑनलाइन रहते हैं। ठग इस, बीच आपसे अकाउंट आदि की जानकारी ऑनलाइन मांग सकते हैं। वीडियो कॉल में ठग कई बार ऐसा गेट अप धारण करते हैं कि पीड़ित व्यक्ति एक समय के लिए उन पर यकीन कर लेता है।  देहरादून की महिला के केस में उसे डर दिखाया गया कि आपके नाम का अवैध कुरियर थाईलैंड भेजा जा रहा है। और फिर महिला से ऑनलाइन पूछताछ के लिए कॉल को क्राइम ब्रांच ट्रांसफर करने का ढोंग रचा गया। इस केस में भी ठगों ने जिस फर्जी इंस्पेक्टर से बात कराई वो पुलिस की वर्दी में था। फिर आफको क्राइम ब्रांच ऑफिस बुलाने और गिरफ्तार करने का डर दिखाया जाता है। इस बीच ठग आपको इस परेशानी से बाहर निकालने का रास्ता बताते हैं। डर के मारे कई बार लोग इन ठगो के चंगुल में फंस जाते हैं और अपनी लाखों की कमाई ठगों को लुटा देते हैं।

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