2025-10-08

महिला सुरक्षा पर भ्रामक सर्वे को देहरादून एसएसपी ने किया खारिज, कहा देहरादून महिलाओं के लिए सुरक्षित

रैबार डेस्क:  महिला सुरक्षा पर एक निजी संस्था के सर्वे से उत्तराखंड में इन दिनों हंगामा मचा है। खासबात ये है कि इस सर्वे को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने जारी किया है। इस सर्वे में देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित शहर बताया गया है। देहरादून एसएसपी अजय सिहं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सर्वे के दावों को खारिज किया है। पुलिस के मुताबिक देहरादून महिलाओं के लिए सुरक्षित शहरों में से एक है।

दरअसल एक निजी सर्वे कम्पनी पी वैल्यू एनालिटिक्स का सर्वे  NARI-2025  कहता है कि देहरादून महिलाओं के लिए देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में से एक है। इस सर्वे का खंडन करते हुए एसएसपी देहरादून ने कहा है कि राज्य महिला आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उक्त सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग अथवा राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया है, और न ही किसी अन्य सरकारी सर्वेक्षण संस्थान द्वारा किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा भी उक्त सम्बन्ध में आयोग स्तर से किसी भी प्रकार का सर्वेक्षण कराये जाने का खंडन किया गया है। साथ ही उक्त रिर्पोट को निजी सर्वे कम्पनी द्वारा स्वंतत्र रूप से तैयार किया जाना बताया गया है। अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार यह पहल पूरी तरह पी वैल्यू एनालिटिक्स का स्वतंत्र कार्य है, जो अपराध के आकडों के आधार पर नहीं अपितु व्यक्तिगत धारणाओं पर भी आधारित है।

एसएसपी ने कहा कि सर्वे में शामिल महिलाओं का कंप्यूटर एसिस्टेंट सर्वे कराया गया है न कि भौतिक रूप से उनसे पूछा गया है। साथ ही देशभर में मात्र 12770 महिलाओं से टेलिफोनिक वार्ता के आधार पर रिर्पोट को तैयार की गयी है। देहरादून में महिलाओं की लगभग 9 लाख की आबादी के सापेक्ष, केवल 400 महिलाओं के सैम्पल साइज के आधार पर इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत होता है।

सर्वे में जिक्र है कि देहरादून में मात्र 4 फीसदी महिलाएं पुलिस एप का इस्तेमाल करती हैं, जबकि उत्तराखंड पुलिस के गौरा शक्ति मॉड्यूल में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। जिसमें से 16649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जनपद के ही हैं। इसके अतिरिक्त डायल 112, उत्तराखण्ड पुलिस एप, सी0एम0 हेल्पलाइन, उत्तराखण्ड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है। स्पष्ट है कि सर्वेक्षण रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है।

सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से सम्बन्धित 02 बिन्दु हैं, पहला- पुलिस पैट्रोलिंग एवं दूसरा- क्राइम रेट, पुलिस पेट्रालिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है। स्पष्ट है कि देहरादून पुलिस पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है। हर्रेशमेन्ट एट पब्लिक प्लेसेस शीर्षक में पूरे देश का स्कोर 07 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का 6 प्रतिशत है। स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। हाई क्राइम रेट शीर्षक में देहरादून का स्कोर 18 प्रतिशत बताया गया है, जो तथ्यों पर आधारित नहीं है।

माह अगस्त में जनपद देहरादून में डायल 112 के माध्यम से कुल 12354 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से मात्र 2287 (18 प्रतिशत) शिकायतें महिलाओं से सम्बन्धित हैं। उक्त 2287 शिकायतों में से भी 1664 शिकायतें घरेलू झगडों से सम्बन्धित हैं। शेष 623 शिकायतों में से भी मात्र 11 शिकायतें लैंगिक हमलों/छेड़खानी से सम्बन्धित हैं। स्पष्ट है कि महिला सम्बन्धी कुल शिकायतों में से छेड़छाड़ की शिकायतों का औसत 01 प्रतिशत से भी कम है। उक्त शिकायतों में पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट है, जो महिला सम्बन्धी अपराधों के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

वर्तमान में देहरादून में बाहरी प्रदेशों के लगभग 70 हजार छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से 43% संख्या छात्राओं की है। साथ ही काफी संख्या में विदेशी छात्र/छात्राएं भी अध्ययनरत हैं। उक्त छात्र/छात्राओं द्वारा सुरक्षित वातावरण में जनपद देहरादून में निवास करते हुए शिक्षा ग्रहण की जा रही है।

महिला सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

महिला सम्बन्धी शिकायतों की सुनवाई एवं निराकरण हेतु जनपद सहित प्रत्येक थाना स्तर पर महिला हैल्प लाइन/हैल्प डेस्क स्थापित हैं।

उत्तराखण्ड पुलिस एप में आकस्मिक स्थिति हेतु S.O.S. बटन स्थापित है। साथ ही साथ नगर क्षेत्र में वन स्टाप सेंटर भी संचालित हो रहा है।

महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु जनपद में पुरूष चीता के साथ-साथ 13 गौरा चीता भी चल रही हैं।

जिनमें प्रशिक्षित महिला पुलिसकर्मियों को ही नियुक्त किया गया है।

साथ ही साथ ऐसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों जहां महिलाओं का आवागमन ज्यादा है वहां पिंक बूथ स्थापित किये गये हैं एवं एकीकृत सीसीटीवी सिस्टम भी स्थापित किया गया है। जिसका कंट्रोल रूम सम्बन्धित थाने को बनाया गया है।

समय समय पर महिलाओं के लिये आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किये जा रहे हैं। साथ ही साथ जनपद में स्थित शैक्षणिक संस्थानों एवं ऐसे कार्यस्थलों जहां महिलाएं कार्यरत हैं में जनपद पुलिस द्वारा निरंतर महिला सुरक्षा सम्बन्धी शिविर आयोजित किये जा रहे हैं।

निगरानी

देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के एकीकृत कंट्रोल रूम के 536, पुलिस कंट्रोल रूम के 216 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग 14000 सीसीटीवी कैमरे कार्यशील हैं, जिनकी सहायता से पुलिस द्वारा निरंतर अपराध एवं अपराधियों पर सतर्क दृष्टि रखी जा रही है। सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है।

एनसीआरबी का डेटा भी प्रदर्शित करता है कि देहरादून में अपराध दर मैट्रो शहरों से कम है। स्पष्ट है कि सर्वे मात्र अवधारणाओं पर आधारित है न कि वास्तविक तथ्यों/आकंड़ों पर।

एसएसपी के मुताबिक उक्त तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि एक निजी कम्पनी के स्वंतत्र रूप से महिला सुरक्षा सम्बन्धित सर्वे के आधार पर देहरादून शहर को देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में रखा जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। सर्वेक्षण में किन लोगों को सम्मिलित किया गया यह स्पष्ट नहीं है। सर्वेक्षण में भाग लेने वालों की आयु, शिक्षा, रोजगार स्थिति के सम्बन्ध में स्पष्टता नहीं है। प्रतिभागी स्थानीय निवासी थे अथवा पर्यटक यह भी स्पष्ट नहीं है, क्योकि सुरक्षा की धारणा आयु तथा जीवनशैली के आधार पर भिन्न होती है।  देहरादून सदैव सुरक्षित शहरों में गिना जाता रहा है, यही कारण है कि यहाँ प्रतिष्ठित केन्द्रीय संस्थान एवं ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संस्थान स्थापित हैं, जिनमें देश-विदेश के छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इसके साथ ही देहरादून में वर्षभर बड़ी संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है। यह तथ्य स्वयं प्रमाणित करता है कि देहरादून आम नागरिकों, पर्यटकों एवं छात्रों के लिए एक सुरक्षित शहर है।

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