पंचायत चुनावों पर हाईकोर्ट से आई बड़ी खबर, अब भी असमंजस में निर्वाचन आयोग

रैबार डेस्क : उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर बड़ी अपडेट सामने आई है। चुनाव अभी भी हाईकोर्ट औऱ निर्वाचन आय़ोग के बीच झूल रहा है। हाईकोर्ट ने चुनावों को लेकर दो-दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होने के मसले पर निर्वाचन आय़ोग के उस सर्कुलर पर रोक लगाई है जिसके तहत ऐसे मतदाताओं या प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि अदालत ने चुनाव प्रक्रिया पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है। दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग के लिए अभी भी असमंजस बना हुआ है, हालांकि आयोग ने सिंबल बांटने शुरू कर दिए हैं।
दरअसल पंचायत चुनाव को लेकर दो दो जगह मतदाता सूची में नाम होने की शिकायत पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने 6 जुलाई को सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि यदि किसी व्यक्ति का नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में है, तो उसे मतदान करने और चुनाव लड़ने से न रोका जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि आय़ोग का सर्कुलर उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) का उल्लंघन करता है, जिसके तहत यदि किसी मतदाता का नाम एक से अधिक सूची (शहरी व ग्रामीण) में है, तो वह चुनाव लड़ने या मतदान के योग्य नहीं होगा। इस आधार पर हाईकोर्ट ने आयोग के सर्कुलर पर 11 जुलाई को रोक लगा दी थी।
इस रोक के बाद आयोग असमंजस में था और 13 जुलाई को आय़ोग ने सिबंल आवंटन पर अस्थाई रोक लगा दी थी। सोमवार को आयोग ने फिर से हाईकोर्ट के सामने अपील की कि, 11 जुलाई के आदेश को स्पष्ट और संशोधित किया जाए। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग द्वारा दायर प्रार्थना पत्र पर कोई आदेश पारित नहीं किया। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि 11 जुलाई को दिया गया आदेश उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के अनुरूप है यानि कोर्ट ने 6 जुलाई के आयोग के सर्कुलर पर रोक लगाई है, न कि चुनावी प्रक्रिया पर। कोर्ट ने आयोग से कहा कि पंचायती राज अधिनियम का पालन सुनिश्चित करना होगा।
हाईकोर्ट ने ये भी साफ किया कोई भी पीड़ित शिकायत होने पर इलेक्शन पिटिशन चुनाव के बाद दाखिल कर सकता है। हालांकि अभी भी असमंजस बरकरार है। एक तरफ तो कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन दूसरी तरफ पंचायती राज एक्ट का पालन करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में निर्वाचन आय़ोग के सामने असमंजस है कि वो आगे बढ़े तो बढ़े कैसे।