2024-07-05

देश में 3 नए कानून लागू, उत्तराखंड में भारतीय न्याय संहिता के तहत लूट का पहला मुकदमा दर्ज

रैबार डेस्क: देश में तीन नए कानून लागू हो गए हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत उत्तराखंड में पहला मुकदमा दर्ज करने वाला हरिद्वार पहला जिला बन गया है। यहाँ पर नए कानूनों के तहत दर्ज हुए पहले मुकदमे में दो अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा के तहत लूट का केस दर्ज किया गया है।

नए कानून के तहत पहला मामला बता दें कि अब तक इंडियन पीनल कोड (IPC) की धाराओं में केस दर्ज होते थे लेकिन सोमवार 1 जुलाई से अब पूरे देश में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के कानून लागू हो गए हैं। उत्तराखंड में हरिद्वार की ज्वालापुर कोतवाली में BNS के तहत लूट का पहला मुकदमा दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता विपुल भारद्वाज ने मुकदमा दर्ज कर पुलिस को बताया कि वह सोमवार तड़के करीब 1:45 पर रविदास घाट के पास वह बैठा था, तभी दो अज्ञात व्यक्ति वहां आए और उसे चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी देने लगे। आरोपियों ने उसका फोन और 1400 रुपये छीन लिए और फिर उसे गंगा नदी की दिशा में धक्का देकर भाग गए। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 309(4) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है।

नए कानून लागू होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इसे ऐतिहासिक दिन करार दिया है। सीएम ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि आज हम अंग्रेजों के समय से चले आ रहे जटिल पुराने कानूनों को समाप्त कर रहे हैं, जिनकी वजह से न्याय मिलने में बहुत परेशानी हो रही थी। वहीं इस नए कानून के तहत अब आम आदमी को तेजी से न्याय मिलेगा। इसके लिए 20 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। एक जुलाई यानी आज से भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। ये तीन कानून हैं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)। इन नए कानूनों में कुछ पुरानी धाराओं को हटाया गया है और कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं। इन कानूनों की धाराओं में बदलाव से पुलिस, वकीलों और अदालतों के साथ-साथ आम लोगों के कामकाज में भी बदलाव आएगा।

नए कानून के तहत किए गए बदलाव निम्न हैं

  1. जल्दी न्याय मिलेगा: आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा।
  2. आरोप तय करने की समयसीमा: पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।
  3. गवाहों की सुरक्षा: सभी राज्य सरकारों को गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करनी होंगी।
  4. बलात्कार पीड़िता के बयान: महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार के सामने बयान दर्ज होगा।
  5. मेडिकल रिपोर्ट का समय: मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होगी।
  6. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध: एक नया अध्याय जोड़ा गया है, जिसमें बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना गया है।
  7. नाबालिग के साथ बलात्कार की सजा: सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
  8. झूठे वादे पर सजा: महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके छोड़ने पर सजा का प्रावधान है।
  9. मामलों पर नियमित अपडेट: पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार है।
  10. मुफ्त इलाज का प्रावधान: सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामलों में मुफ्त इलाज करना होगा।
  11. दस्तावेजों की कॉपी: आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, और अन्य दस्तावेजों की कॉपी मिलेगी।
  12. ई-रिपोर्टिंग: इलेक्ट्रॉनिक संचार से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी और एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकेगी।
  13. फोरेंसिक विशेषज्ञों की अनिवार्यता: गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अब अनिवार्य होगा।
  14. लिंग की नई परिभाषा: ट्रांसजेंडर लोग अब लिंग की परिभाषा में शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है।
  15. महिला मजिस्ट्रेट से बयान: महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट से दर्ज करने का प्रावधान है

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