पौड़ी में गुलदार का आतंक जारी, इधर सांत्वना दे रहे थे अधिकारी, उधर पास के गांव में गुलदार ने बकरी को बनाया निवाला
रैबार डेस्क: उत्तराखंड के पहाड़ों में जंगली जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पौड़ी जनपद मुख्यालय से सटे इलाकों में गुलदार का आतंक लगातार बना हुआ है। सोमवार को गुल्दार के हमले में मारे गए राजेंद्र नौटियाल के परिजनों को ढांढस बंधाने मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु और वनविभाग के सचिन एसएन पांडे गजल्ड गांव में पहुंचे थे, लेकिन उसी वक्त पास के गांव में गुलदार ने एक बकरी को मार दिया जबकि दूसरी को घायल कर दिया। अधिकारियों के दौरे के वक्त हुई इस घटना ने ग्रामीणों के आक्रोश को और भड़का दिया।
दरअसल चार दिन पहले पौड़ी से सटे गजल्ट गांव में गुलदगार ने राजेंद्र नौटियाल नाम के व्यक्ति को निवाला बना लिया था। इस घटना के बाद ग्रामीणों में दहशत के साथ साथ आक्रोश भी है। वनविभाग ने आस पास पिंजरे लगाए औऱ शूटर तक तैनात किए लेकिन क्षेत्र में गुलदार की सक्रियता लगातार बनी हुई है। इसी घटना पर परिजनों को ढांढस बंधाने गढ़वाल कमिश्नर समेत तमाम अधिकारी गजल्ट गांव पहुंचे थे। इसी दौरान पास के ही सिरोली गांव में गुलदार ने दो बकरियों पर हमला कर दिया जिसमें एक की मौत हो गई। इसके बाद ग्रामीणों का आक्रोश और भी भड़क गया।
ग्रामीणों का कहना है कि गजल्ट की घटना के बाद से ही सिरोली में लगातार दो तीन से गुलदार देखा जा रहा है। गुलदार की सक्रियता की वजह से लोगों में खौफ है, लेकिन विभाग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। विभाग द्वारा तैनात शूटर गुलदार को नहीं पकड़ पा रहे हैं, न ही उसे नष्ट कर पा रहे हैं। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि अब लोगों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है।अधिकारियों के सामने घची घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। गुलदार के हमले में घायल बकरी को सामने लाकर विरोध जताया। ग्रामीणों ने सड़क जाम कर अधिकारियों के काफिले को रोक दिया और घेराव करते हुए जल्द कड़ी कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि जब बड़े अधिकारियों के क्षेत्र में मौजूद रहते हुए भी घटना हो सकती है, तो आम दिनों में गांव के लोग कितने असुरक्षित होंगे? इसका अंदाज लगाया जा सकता है।
ग्रामीणों की मांग है कि शूटरों की संख्या बढ़ाई जाए, प्राइवेट शूटरों को भी हायर किया जाए, ताकि नरभक्षी गुलदारों को जल्द से जल्द शूट किया जा सके। गुलदार की सक्रियता वाले इलाकों में वन विभाग की टीम लगातार गश्त करे।
