2025-09-12

संस्कृत विद्यालय का संचालक बना नसीरुद्दीन, बंगाल की छात्राओं को एडमिशन और स्कॉलरशिप, CM ने दिए घोटाले की SIT जांच के आदेश

रैबार डेस्क:  क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि केदार की धरती रुद्रप्रयाग में संस्कृत विद्यालय का संचालक नसीरुद्दीन नाम का व्यक्ति है। यही नहीं यहां पश्चिम बंगाल की छात्राएं पढ़ती हैं। हैरानी जरूर होगी लेकिन छात्रवृत्ति घोटाले की राशि डकारने के लिए उत्तराखंड के एक दो नहीं बल्कि 17 स्कूलों में ऐसा खेल रचा गया है। मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं।

दरअसल उत्तराखंड में एक खास तरह का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है। जिसमें सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, और संस्कृत विद्यालयों को कागजों में अल्पसंख्यक विद्यालय यानी ‘मदरसा’ दिखाकर छात्रवृत्ति डकारी गई है। यही नहीं, इन स्कूलों में पढ़ने वाले अल्पसंख्य छात्र छात्राओं का पता पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड दर्शाया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना चलाई जाती है। इसके तहत माइनॉरिटी के छात्रों को कक्षा एक से 10वीं तक पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। इससे छात्रों को पढ़ाई जारी रखने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इसी योजना के पात्र लाभार्थियों के सत्यापन के लिए जब सरकार अभियानव चला रही थी, तो इस तरह की भारी अनियमितताएं सामने आई हैं।

उहादरण के तौर पर रुद्रप्रयाग के बसुकेदार स्थित श्री सरस्वती संस्कृत विद्यालय के नाम पर भी गहरी साजिश रची गई। यहां विद्यालय के संचालक का नाम नसीरुद्दीन दर्शाया गया है। यही नहीं दो मुस्लिम छात्राओं का यहां एडमिशन दिखाया गया है जिनका पता जिला 24-परगना पश्चिम बंगाल में है। इसी तरह किच्छा में एक सरस्वती शिशु मंदिर के  संचालक का नाम मोहम्मद शफ़ीक़ और रफ़ीक दर्शाया गया है। यहाँ पंजीकृत 154 बच्चे बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं। इसी तरह कुल 17 शिक्षण संस्थानों के नाम पर अनियमितताएं पाई गई हैं।

ऐसे हुआ घोटाले का भंडाफोड़

ऊधम सिंह नगर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज अल्पसंख्यक छात्रवृति आवेदकों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए उधम सिंह नगर जिले के 796 बच्चों के डॉक्यूमेंट्स की डिटेल मांगी गई थी। इनमें से 6 मदरसों में पढ़ने वाले 456 बच्चों के बारे में जानकारी संदिग्ध पाई गई। चौंकाने वाली बात ये थी कि इन स्कूलों में सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा का नाम भी शामिल है। इस विद्यालय का संचालक मोहम्मद शारिक-अतीक को बताया गया है। राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल में दिखाया गया है कि यहां 154 मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं। आपको बता दें कि सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय अल्पसंख्यक विद्यालय में नहीं आता है।

इसी तरह काशीपुर के नेशनल अकादमी जेएमवाईआईएचएस में पढ़ने वाले 125 मुस्लिम छात्रों और इसके संचालक गुलशफा अंसारी, मदरसा अल जामिया उल मदरिया के 27 बच्चों और उसके संचालक मोहम्मद फैजान का सत्यापन कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।

एसआईटी जांच के आदेश

मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि प्रदेश में छात्रवृत्ति जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने अनियमितताओं एवं फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से छात्रवृत्ति राशि के गबन के गंभीर प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी के गठन के निर्देश दिए गए हैं। जांच की जिम्मेदारी विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, डॉ. पराग मधुकर धकाते को सौंपी गई है। प्रथम दृष्टया जांच में यह पाया गया है कि कुछ संस्थाओं ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति प्राप्त की है, जिनमें कुछ मदरसे, संस्कृत विद्यालय तथा अन्य शिक्षण संस्थाएं शामिल हैं।

क्या कहते हैं स्कूल

बसुकेदार संस्कृत विद्यालय प्रधानाचार्य का कहना है कि जून के महीने इस तरह का प्रकरण सामने आने के बाद कई बार जिला प्रशासन की टीम यहां जांच करने आई और दस्तावेजों को खंगाला। लेकिन उन्हें किसी व्यक्ति, नाम या छात्र के नाम को लेकर कोई अनियमितता नहीं मिली। लेकिन 20 जुलाई को डीएम ऑफिस की ओर से एक पत्र आया जिसमें लिखा था कि सहिरा बेगम और कश्मीरा बेगम नाम की छात्राओं को संस्कृत विद्यालय की छात्रा दिखाया गया था। जिनका पता पश्चिम बंगाल में था। प्रिंसिपल का कहना है कि किसी ने साजिश के तहत न सिर्फ छात्रवृत्ति योजना से खिलवाड़ किया बल्कि उत्तराखंड के संस्कृत विद्यालय और क्षेत्रीय जनता के साथ भी खिलवाड़ किया।

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