सीमांत गांव गर्ब्यांग में सेना ने शुरू किया टेंट होमस्टे, स्थानीय लोगों की आर्थिकी को मिलेगा बूस्ट

रैबार डेस्क: खूबसूरत होमस्टे के जरिए अपनी अलग पहचान बना रहे उत्तराखंड में एक और शानदार पहल की गई है। पर्यटन और सतत विकास को बढ़ावा देने के मकसद से भारतीय सेना ने ऑपरेशन सद्भावना के तहत सीमावर्ती गांवों में अब टेंट बेस्ट होमस्टे की शुरुआत की है। इन होमस्टे का संचालन स्थानीय महिलाएं और नागरिक करेंगे। जिसका सीधा फायदा स्थानीय लोगों की आजीविका को होगा। साथ ही पर्यटकों को भी खास तरह का एहसास मिल सकेगा।
भारतीय सेना के उत्तर भारत क्षेत्र के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा ने पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र गर्ब्यांग गांव में टेंट होमस्टे का उद्घाटन किया। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के साथ जुड़ी इस पहल का उद्देश्य पर्यटकों को क्षेत्र की जीवंत संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का एक प्रामाणिक अनुभव प्रदान करना है, साथ ही समुदाय-आधारित पर्यटन के माध्यम से स्थानीय आजीविका को मजबूत करना है।
आदि कैलाश यात्रा के रूट पर शांत घाटियों और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसे, गर्ब्यांग को अक्सर “शिवनगरी गुंजी का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। जहाँ से दो पवित्र तीर्थ मार्ग निकलते हैं, एक आदि कैलाश की ओर और दूसरा ओम पर्वत और कालापानी की ओर। इसका सामरिक और आध्यात्मिक महत्व इसे कुमाऊं के ऊँचे इलाकों में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है।
टेंट होमस्टे की शुरुआत से स्थानीय लोगों में भी उत्साह है। ग्रामीणों ने इस बात की सराहना की कि इस तरह के प्रयास से स्थानीय आर्थिक अवसर बढ़ेंगे।
खास तरह का होमस्टे
ऑपरेशन सद्भावना के तहत विकसित और स्वतंत्र संचालन के लिए ग्रामीणों को सौंपे गए इस होमस्टे में पर्यटकों को स्थानीय जीवन शैली का अनुभव करने का एक अनूठा अवसर मिलता है।
इस होमस्टे की संचालन और बुकिंग का जिम्मा गर्ब्यांग की ग्राम समिति को सौंपा गया है। आप सोचिए 17700 फीट की ऊंचाई पर बर्फ के बीच आपको किफायती ठिकाना मिलेगा। यहां भोजन सहित प्रति व्यक्ति प्रति रात्रि किराया मात्र 1000 रुपये है।
बुकिंग का प्रबंधन करती है (संपर्क: 9410734276 / 7579811930 / 9596752645)।
पर्यटन के अलावा, भारतीय सेना कुमाऊँ के सीमावर्ती क्षेत्रों में कई विकासात्मक पहलों को अंजाम दे रही है, जिनमें गाँवों का विद्युतीकरण, हाइब्रिड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, चिकित्सा शिविरों का आयोजन, पॉलीहाउस की स्थापना और अन्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शामिल हैं। इन पहलों का उद्देश्य स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना, जीवन स्तर में सुधार लाना और सीमावर्ती समुदायों और राष्ट्र की विकासात्मक मुख्यधारा के बीच संबंध को मज़बूत करना है।