2025-09-12

हिमालय की धारण क्षमता, इकोलॉजी, विकास, संस्कृति पर मंथन से बही विचारों की गंगधारा

रैबार डेस्क: पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर देवभूमि विकास संस्थान द्वारा दो दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। दून विश्वविद्यालय में शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगधाराःविचारों का अविरल प्रवाह कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस व्याख्यानमाला में हिमालयी क्षेत्रों के विकास, धारण क्षमता, इकोलॉजी, शिक्षा व संस्कृति पर मंथन किया जा रहा है।

कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने इस मौके पर कहा कि गंगा की धारा की तरह ही विचारों की अविरलता भी आवश्यक है। विचारों का प्रवाह आदमी को थकने नहीं देता और मंजिल तक पहुंचा देता है। हिमालई क्षेत्र में संतुलित विकास और इकोलॉजी के संरक्षण के लिए बेहद आवश्यक है कि इस तरह के विचार सामने आएं।सीएम धामी ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में परिवर्तन लाने के वाहक बनते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में विचारों के आदान-प्रदान की परंपरा रही है। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां पर इकोलाजी और इकोनोमी का संतुलन बनाना जरूरी है। उन्होंने विकल्प रहित संकल्प पर जोर देते हुए प्रदेश सरकार की तमाम उपलब्धियों का जिक्र किया।

रविवार को चार सत्रों में हिमालय की शिक्षा, संस्कृति, विकास हिमालयी क्षेत्रों की चुनौती पर मंथन किया जा रहा है। पहले सत्र में वनाग्नि की समस्या, वन संसाधनों का सदुपयोग, आपदा की चुनौतियां जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर देवभूमि विकास संस्थान के संरक्षक, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यक्रम की प्रस्तावना को सामने रखा। हिमालयी सरोकारों को लेकर एक अविरल चलने वाले कार्यक्रम का उनका सपना था, जिस पर काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लोगों के सहयोग से इसके लिए कारपस फंड तैयार किया गया है, जिससे इसके लगातार आयोजन में आर्थिक दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि लोगों के सुझाव जानने के लिए पांच पर्यवेक्षकों को भी जिम्मेदारी दी गई है, ताकि कार्यक्रम भविष्य में और बेहतर हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज विवाह जैसी संस्था प्रभावित हो रही है और रिश्ते बहुत जल्द टूट रहे हैं, उसे देखते हुए प्री वैडिंग काउंसलिंग के कार्यक्रम करने पर भी विचार किया जा रहा है।

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