गैरसैंण अस्पताल: संसाधनों की कमी ने ली महिला व नवजात बच्चे की जान

रैबार डेस्क : पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने एक बार फिर महिला और नवजात की जान ले ली। मामला ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण का है। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य के दे डिलीवरी के बाद अचानक महिला की तबीयत बिगड़ गई, जैसे ही गैरसैंण से उसे रेफर किया , उसने रास्ते में दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि नवजात बच्चे के मृत पैदा होने की खबर से महिला की तबीयत अचानक बिगड़ गई।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत भले ही गैरसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उपजिला चिकित्सालय का दर्जा दे कर अपनी पीठ थपथपा रहे हों लेकिन यहां न विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती हुई है, न ही पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। किसका खामियाजा आए दिन स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ता है।
दरअसल गैरसैंण विकास खंड के दूरस्थ गांव फुल ढुंगी तल्ला गांव (घंडियाल) निवासी सुशीला देवी उम्र लगभग 25 वर्ष को प्रसव पीड़ा के बाद उसके परिजन सुरक्षित प्रसव के लिए गैरसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। यहां डॉक्टरों ने सुशीला देवी का सुरक्षित प्रसव तो कर दिया लेकिन नवजात को नहीं बचा पाए। कुछ देर बाद नवजात की मौत की खबर सुनकर सुनीता की भी हालत बिगड़ गई,आनन फानन में डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार दिया और हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया
लेकिन जैसे ही आधे रास्ते में पहुंचे, सुनीता ने भी दम तोड़ दिया। जिससे पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। मृतक सुनीता के पति अंकित नेगी भारतीय सेना में सेवारत हैं। सुशीला की सास व बूढ़ी सास का अपनी बहु व नवजात पोते की मौत की खबर को सुनने के बाद से रो-रो कर बुरा हाल है। वहीं इस घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में आक्रोश वयाप्त है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अर्जुन रावत ने बताया कि महिला का प्रसव डॉक्टरों की टीम द्वारा करा दिया गया था,लेकिन नवजात मृत पैदा हुआ था,महिला बिल्कुल सही थी व परिजनों से बात कर रही थी। लगभग 1 घण्टे बाद मृत बच्चा पैदा होने की ये खबर सुनने के बाद महिला को गहरा सदमा लग गया व महिला की तबियत खराब हो गई और बेहोंश हो गई, जिसके बाद महिला को प्राथमिक उपचार दिया गया,जिसके बाद महिला के स्वास्थ्य में कुछ सुधार हो गया था लेकिन दुबारा से महिला की तबियत बिगड़ने लगी जिसके बाद महिला को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया था।