आसान नहीं है CM तीरथ का राजकाज का सफर, 225 दिन से कम बचे, अचार संहिता से होगा कामकाज प्रभावित
देहरादून: उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (CM Tirath Singh Rawat) ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर लिया है। फिर भी चिंताएं ये हैं कि अब बेहद कम समय में तीरथ राज्य को कैसे तीव्र गति से विकास पथ पर ले जाएंगे। सीएम तीन तीन उपचुनावों (By elections) की आचार संहिता और अन्य चुनौतियों में उलझे रहेंगे, ऐसे में उनके लिए राहें आसान नहीं रहने वाली।
यदि मान लिया जाय कि चुनाव आयोग दिसंबर में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दे तो तभी से आचार संहिता प्रभावी हो जाएगी। इस लिहाज से सीएम तीरथ के पास खुद को साबित करने के लिए महज 9 महीनों के समय बचा है। यहां मुश्किल ये है कि अगले 6 महीने के भीतर सल्ट विधानसभा के अलावा गढ़वाल लोकसभा सीट और जिस सीट पर सीएम चुनाव लड़ेंगे, वहां उपचुनाव होने हैं।
सुरेंद्र सिंह जीना के निधन से रिक्त हुई सल्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। जिससे पूरे अल्मोड़ा जिले में आचार संहिता रहेगी। गढ़वाल लोकसभा सीट पर आचार संहिता से पूरे 5 जिले (पौड़ी, टिहरी, चमोली, नैनीताल, रुद्रप्रयाग) प्रभावी रहेंगे। यदि CM इन जिलों की किसी सीट से उपचुनाव लड़ेंगे तो ठीक वरना जिस जिले में लड़ेंगे वहां भी उपचुनाव की आचार संहिता रहेगी। इस तरह 6 महीनों में 3 उपचुनाव होंगे। और इन उपचुनावों में 6 जिलों में करीब 45 दिन तक आचार संहिता प्रभावी रहेगी। जाहिर है, इस दौरान सीएम कोई बड़ी योजना लागू करने या किसी बड़ी घोषणा करने से बचेंगे।
इस दौरान सीएम को सियासी दौरे और रैलियां भी करनी होंगी। कार्यकर्ताओं से भी संपर्क करना होगा। सीएम को अंदरूनी चुनौतियों से भी सामना करना पड़ सकता है। पार्टी संगठन और सरकार के बीच तालमेल बनाकर चलना सीएम तीरथ के लिए अलग चुनौती होगी। लिहाजा वक्त बहुत कम बचेगा।
इस तरह सीएम तीरथ के पास नई योजनाएं लागू करने और विकास के कार्य करने के लिए 225 दिन से भी कम समय रहेगा। चुनावी मैदान में भले ही डबल इंजन सरकार का नारा लगेगा लेकिन जनता के सामने प्रदेश सरकार के 5 साल के कामकाज का ब्यौरा रखना ही होगा।