शहरों को छोड़कर बागेश्वर के पवन ने गांव में किया ये बड़ा काम, चारों ओर हो रही तारीफ
ब्यूरो: कहते हैं कर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। आजकल कोरोना संकट में कई नौकरियां जा रही हैं, प्रवासी अपने घरों को लौटने पर मजबूर हैं, रोजी रोटी का भी संकट है, लेकिन उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में जो युवा छोटा मोटा काम करने से हिचकिचाते हैं, पैर से दिव्यांग पवन ने उनके सामने एक मिसाल पेश की है।
दरअसल बागेश्वर के कांडे कन्याल गांव का युवक पवन शहरों में रोजी रोटी कमा रहा था, लॉकडाउन के कारण बागेश्वर अपने घर में ही रह गया। ये सभी को पता है कि लॉकडाउन के दौरान सैलून बंद रहने से लोगों को हेयर कटिंग, शेविंग आदि की दिक्कतें हुई। पवन को हेयर कटिंग में रुचि थी, लिहाजा गांव में कई लोगों के मुफ्त में बाल काटने लगा। इस दौरान पवन की कला की चर्चा होने लगी, पवन के सिंलगदेव गांव के हरीश को भी अपने साथ जोड़ लिया और उसे भी हेयर कटिंग का काम सिखाने लगा।व्यापार मंडल अध्यक्ष दीप वर्मा को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने पवन से मुलाकात की और उन्हें सैलून खोलने के लिए प्रेरित किया। पवन ने पिछले महीने कांडा पड़ाव कस्बे में सैलून खोल दिया और उसमें हरीश को भी रोजगार दिया।
पवन की ये पहल रंग लाने लगी और सैलून चल निकला। सैलून से पवन को दिन में 500 से 1000 रुपए तक आमदनी होने लगी है। शायद शहरों के धक्के खाने पर पवन को इतना भी सुकून से नहीं मिल पाता।
स्वरोजगार के लिए पवन के जज्बे की चारों ओर तारीफ हो रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में सैलून आदि कामों को दूसरे प्रदेशों से आये लोग करते हैं, अगर इन्हीं कार्यों को स्थानीय युवा करने लगें तो कई फायदे होंगे। स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और पहाड़ में डेमोग्राफिक शिफ्ट की सम्भावनाएं भी कम हो जाएंगी।