चीन सीमा के नजदीक यहां बना देश का पहला न्यू जेनरेशन ब्रिज, जानिए क्या हैं इस ब्रिज की की खासियत
उत्तरकाशी : चीन के साथ लद्दाख सीमा पर तनाव के बीच भारत ने पूरी सीमा पर अपनी तैयारियां पुख्त की हैं। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन अरुणाचल से लेकर अक्साई चिन तक चीन से सटी सीमा पर निर्माण कार्यों को तेजी से अंजाम दे रहा है। इसी कड़ी में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले गंगोरी ब्रिज का काम भी पूरा कर लिया गया है। यह ब्रिज देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज है।
उत्तरकाशी से पांच किमी दूर गंगोत्री मार्ग पर गंगोरी के पास पहले बेली ब्रिज होता था, लेकिन यह ब्रिज पिछले साल टूट गया था। उसी के बाद से बीआरओ इस पुल के निर्माण में लगा था। बीआरओ की मांग पर कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) कंपनी ने इस पुल का डिजाइन तैयार किया। इस तकनीक को न्यू जनरेशन ब्रिज नाम दिया गया है । खास बात यह है कि इस पुल के भार वहन की क्षमता बेली ब्रिज के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। असी गंगा नदी पर बने इस पुल से 70 टन तक भार ले जाया जा सकता है। इस पुल के बन जाने से सेना के भारी वाहन औऱ हथियार यहां से चीन की सीमा तक ले जाए जा सकेंगे। इसी वर्ष जनवरी इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था और अप्रैल में पुल बनकर तैयार हो गया। लेकिन कोरोना संकट के कारण अभी इस ब्रिज का उद्घाटन नहीं हो पाया है, हालांकि सामरिक जरूरतों को देखते हुए इस पर आवाजाही शुरू की जा सकती है।
190 फीट लंबे इस न्यू जनरेशन पुल का निर्माण पुराने बेली ब्रिज के ही स्थान पर ही किया गया। गंगोरी में पहले लगे बेली ब्रिज 16 से 20 टन भार क्षमता के थे, लेकिन इस पुल की भार क्षमता 70 टन है। सड़क निर्माण के लिए मशीनें और सेना के वाहन भी इस पुल से आसानी से जा सकते हैं।
न्यू जनरेशन ब्रिज की खासियत
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल के मुताबिक बेली ब्रिज की भार क्षमता 20-25 टन और चौड़ाई 3.75 मीटर होती है। बेली ब्रिज के निर्माण में केवल लोहे का उपयोग होता है, लेकिन गंगोरी के पास बीआरओ ने जो न्यू जनरेशन ब्रिज तैयार किया है, उसमें स्टील और लोहे के कलपुर्जों का भी उपयोग हुआ है। इसी कारण बेली ब्रिज की तुलना में न्यू जनरेशन ब्रिज का भार कम होता है। इस न्यू जेनरेशन ब्रिज चौड़ाई 4.25 मीटर और भार क्षमता बेली ब्रिज से तीन गुना अधिक यानी 70 टन है। हाइवे के पक्के मोटर पुल की भार क्षमता भी 70 टन के आसपास होती है। सिर्फ इस पुल को जोड़ने की तकनीक बेली ब्रिज की तरह है, जो 30 दिनों के अंतराल में तैयार हो जाता है।