शहीद राजेंद्र सिंह को नम आंखों से दी गई विदाई, CM ने कहा, शहीद की पत्नी को मिलेगी सरकारी नौकरी
देहरादून: जम्मू कश्मीर में अपना फर्ज निभाते शहीद हुए हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी को आज नम आंखों से विदाई दी जा रही है। 11वीं गढ़वाल राइफल्स के शहीद जवान राजेंद्र सिंह का पार्थिव शव बुधवार रात करीब पौने आठ बजे देहरादून पहुंचा। आज सुबह से उनके घर पर श्रद्धांजलि देने वालो का तांता लगा रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए परिवार को ढांढस बंधाया। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद शहीद के पिता, माता, पत्नी व परिजनों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शहीद के परिजनों की हर संभव प्रयास करेगी। शहीद सम्मान के अलावा राज्य सरकार शहीद की पत्नी को उनकी योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी देगी।
गौरतलब है कि कश्मीर में अग्रिम चौकी पर तैनात हवलदार राजेंद्र सिंह 8 जनवरी 2020 को गुलमर्ग में आए बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे। तब से उका कोई पता नही चल पा रहा था। सेना ने उनकी काफी खोज खबरकी लेकिन कोई पता नहीं चल सका था। करीब 7 महीने बाद सेना ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया था।
हालांकि शहीद के परिजन ये मानने को तैयार नहीं थे। राजेंद्र की पत्नी इस आस में थी कि कोई न कोई अच्छी खबर जरूर आएगी, औऱ राजेंद्र सकुशल घर लैटेंगे। लेकिन दुर्भाग्य से आझ हवलदार राजेंद्र का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा। कुछ दिन पहले कश्मीर पुलिस को बर्फ के नीचे दबे कुछ शव दिखाई दिए जिनमें से एक हवलदार राजेंद्र सिंह का भी था। सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद कल रात शहीद का पार्थिव शरीर देहरादून पहुंचा। शहीद राजेंद्र मूल रूप से चमोली जिले के रहने वाले थे।
बेटी बनना चाहती है अफसर
शहीद हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी की बेटी अंजली सेना में अफसर बनना चाहती हैं। अंजली ने कहा कि पिछले छह माह से पापा के लौटने की उम्मीद थी। यह दौर बेहद दुखद था। दादा-दादी और मम्मी बोलते थे कि पापा आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि पापा हमेशा फोन पर कहते थे कि जब छुट्टी पर घर आएंगे तो हवाई जहाज में बैठाकर घुमाने लेकर जाएंगे, लेकिन अब ये सपना रह गया। उन्होंने कहा कि वह पढ़ाई लिखाई करने के बाद सेना में अफसर बनेगी और पापा की तरह ही देश की सेवा करेंगी।