60 साल बाद टूरिस्ट के लिए खुला ऐतिहासिक गरतांग गली ट्रैक, पूर्व CM ने कहा, सपना साकार हुआ

रैबार डेस्क: उत्तरकाशी की नेलांग वैली में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली (Gartang Gali track open for tourist) के प्रति पर्यटकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। लकड़ी सीढ़ियों के रास्ते वाली यह ऐतिहासिक गरतांग गली करीब 60 साल बाद पर्यटकों के लिए खोली गई है। मौजूदा सरकार में 2017 से इसे फिर से खोलने के प्रयास किए गए। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भी गरतांग गली में ट्रैकिंग की और इसे रोमांचक अनुभव करार दिया।

गुरुवार को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र नेलांग वैली में स्थित गरतांग गली गए। और बेहतर अनुभव को फेसबुक पर साझा किया। पूर्व सीएम ने लिखा है, ‘जब यह विषय मेरे सामने मुख्यमंत्री रहते हुए आया था, तो मुझे लगा कि हमें इस स्थल को विकसित करना चाहिए और हमें इसे आम पर्यटकों के लिए भी खोलना चाहिए’। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के लिए गरतांग गली की यात्रा बेहद ही रोमांचक होगी। उन्होंने कहा कि जब मेरे संज्ञान में आया कि इसका कार्य पूरा हो चुका है तो मैंने मन बनाया की स्वयं देखना व इसकी यात्रा की जानी चाहिये। पूर्व सीएम ने आइटीबीपी, फॉरेस्ट और सेना के जवानों के साथ गरतांग गली की सीढ़ियां चढ़ी, उन्होंने कहा कि कार्य बेहद ही अच्छा और संतोषजनक किया गया है।

त्रिवेन्द्र ने कहा कि हमारी चिंता होती है कि शीतकालीन पर्यटक उत्तराखंड में नहीं आ रहा है। शीतकालीन पर्यटक की दृष्टि से भी यहां पर “स्नो लेपर्ड पार्क व्यू” स्थापित किया जा रहा है, जो लगभग ₹8 करोड की लागत से बनेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की हमारी सरकार की कोशिश है कि शीतकालीन पर्यटक के साथ ही हाई एंड टूरिस्ट भी देवभूमि में आए।
300 साल पुराना है गरतांग गली मार्ग
प्राचीन काल मे भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का यह प्रमुख मार्ग हुआ करता था। नेलांग वैली में खड़ी चट्टान के बीच से होकर गुजरता यह बेहद संकरा मार्ग है। यह ट्रैक उत्तरकाशी के भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और उसके ऊपर लकड़ी बिछाकर तैयार किया था।

इस रास्ते से ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचाए जाते थे। इसका इतिहास करीब 300 साल पुराना है। माना जाता है कि इसे पेशावर के पठानों ने तैयार किया था। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी गरतांग गली की सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना हैं। गरतांग गली की लगभग 150 मीटर लंबी सीढ़ियां अब नए रंग में नजर आने लगी हैं। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस लकड़ी के सीढ़ीनुमा पुल को बंद कर दिया गया था। अब करीब 60 सालों बाद वह दोबारा पर्यटकों के लिए खोला गया है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार में 10 ही लोगों को पुल पर भेजा जा रहा है।