पारंपरिक खेती को बचाने के संकल्प के साथ ऋषिकेश से केदारनाथ की पैदल यात्रा पर निकले प्रसाद वाले गोविंद
रैबार डेस्क: आपको याद होगा कि केदारनाथ औऱ बदरीनाथ समेत उत्तराखंड के तमाम मंदिरों में स्थानीय अनाजों से निर्मित प्रसाद का चलन एक बड़ी मुहिम बन चुका है। मंदिरों में स्थानीय अनाजों के प्रसाद को लेकर एक शख्स कई वर्षों से लगातार प्रयास कर रहा है। उस शख्स का नाम है, गोविंद सिंह मेहर। किसानों की आय बढ़ाने, पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने, पलायन कम करने और दैवीय आपदाओं से उत्तराखंड सुरक्षित रहे, इसी संकल्प के साथ गोविंद सिंह मेहर और उनके साथी बच्चीराम उनियाल इस बार ऋषिकेश से केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा पर निकल पड़े हैं। बात दें कि प्रयाद योजना सफल हो इसके लिए गोविंद सिंह बद्रीनाथ धाम की पदयात्रा कर चुके हैं। Govind Singh Mehar footmarch to save uttarakhand from disasters and well being of farmers
मूल रूप से नंदप्रयाग, चमोली के रहने वाले गोविंद सिंह मेहर 2004 से ही मंडुआ, झंगोरा, चौलाई, कुट्टू जैसे स्थानीय उत्पादों को बाजार में स्थापित करने की मुहिम में जुटे हैं। हैस्को से ट्रेनिंग लेकर मास्टर ट्रेनर गोविंद सिंह मेहर स्थानीय महिलाओं और युवाओं को इस मुहिम में जोड़ रहे हैं। गोविंद सिंह मेहर अब तक 10 हजार से ज्यादा महिलाओँ को स्थानीय पारंपरिक अनाजों से मंदिरों का प्रसाद तैयार करने, बिस्किट, मिठाइयां, स्नैक्स आदि तैयार करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में मंडुए के बिस्किट बनाने वाले पिथौरागढ़ के जिस महिला समूह का जिक्र किया था, उस समूह को भी गोविंद सिंह ने ट्रेनिंग दी है। गोविंद सिंह की पहल के चलते आज बद्री केदार समेत मनसा देवी और अन्य मंदिरों में स्थानीय अनाजों के प्रसाद का चलन बढ़ गया है। इसका नतीजा है कि ग्रामीण किसानों के मंडुआ, झंगोरा, चौलाई आदि की खपत जबरदस्त ढंग से हो रही है, इसका उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है। प्रसाद योजना से जुड़ी महिलाओं और युवाओं को भी आर्थिक संबल मिल रहा है। प्रसाद योजना को उन्होंने इतना पॉपुलर बनाया कि सब उन्हें प्रसाद वाले गोविंद कहकर बुलाने लगे हैं।
पहाड़ की पारपंरिक खेती बची रहे, हमारा किसान खुश रहे। स्थानीय अनाजों का प्रचलन बढ़े, प्रदेश में सुख समृद्धि लौटे, उत्तराखंड आपदाओं से सुरक्षित रहे, इसी मनोरथ के साथ गोविंद सिंह मेहर फिर एक बार पदयात्रा पर हैं। शुक्रवार को ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट से गोविंद सिंह केसाथ बच्चीराम उनियाल पदयात्रा पर निकल पड़े हैं। इस दौरान गोविंद सिंह केवल फलाहार का सेवन करेंगे। उनका लक्ष्य है कि कपाट खुलने से पहले 24 अप्रैल तक वे केदारनाथ धाम पहुंच सकें। यात्रा के दौरान भजन कीर्तन औऱ जगह जगह पलायन रोकथाम व पारंपरिक कृषि को सुदृढ़ करने पर चर्चाएं भी की जाएंगी।