2024-05-04

नए संसद भवन की लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश, जानिए बिल पास होने से क्या क्या बदल जाएगा

WOMEN RESRVATION BILL PUT IN LOKSABHA FOR DISCUSSION

रैबार डेस्क:  नए संसद भवन में पहले दिन की कार्यवाही में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। इसके बाद लोकसभा में बिल पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में महिला आरक्षण बिल की पुरजोर वकालत की। उदर क्रेडिट लेने की होड़ के बीचइस बिल पर विपक्ष का भी साथ मिलता दिख रहा है।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम

मंगलवार को लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को लोकसभा में पेश किया। बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस बिल को दोनों सदनों से पारित किए जाने और कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं। कानून बनने के बाद निचले सदन और राज्य के विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएगी। अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले जानबूझकर बिल को पास नहीं किया गया। महिला आरक्षण की अवधि 15 साल की होगी।

विपक्ष का भी मिला साथ

इस बिल को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल अभी भी अस्तित्व में हैं। इसे राजीव गांधी, नरसिम्हाराव और मनमोहन सिंह की सरकार में भी पेश किया गया था। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल अब अस्तित्व में नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के बयान को रिकार्ड से हटाया जाए।

महिला आरक्षण से लोकसभा में क्या बदलेगा

महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी

जहां पहली लोकसभा में केवल 22 महिलाएं निर्वाचित हुई, वहीं 17वीं लोकसभा में ये संख्या 78 तक ही पहुंच पाई है। बिल पास हो गया तो अब 181 महिला सांसद लोकसभा पहुंच सकेंगी

महिला आरक्षण की अवधि 15 साल की होगी

SC/ST के लिए तय सीटों में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी

भारतीय राजनीति में बड़ी तादाद में महिलाओं की एंट्री होगी

महिला आरक्षण विधेयक का इतिहास

महिला आरक्षण विधेयक सबसे पहले देवगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में 12 सितम्बर 1996 को संसद में रखा गया था।

13 जुलाई 1998 को लोकसभा में उस समय घमासान मच गया, जब कानून मंत्री एम थंबी दुरई ने इस विधेयक को सदन के पटल पर पेश करने की कोशिश की कानून मंत्री के हाथ से बिल छीनकर उसकी कॉपियां सदन में फाड़ दी गई।

उसके बाद NDA की सरकार के दौरान भी इसे पास कराने के तीन प्रयास 1999, 2002 और 2003 में किये गये मगर नतीजा सिफर रहा।

2008 में यूपीए की सरकार के दौरान राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया, उसके बाद बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया। 9 मार्च 2010 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से विधेयक को पास कर दिया। लेकिन लोकसभा में महिला आरक्षण बिल अटक कर रह गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed