वींरागना को सलाम, जान पर खेलकर जानकी ने बाघ से बचाई सहेली की जिंदगी, दरांती, पत्थर से बाघ को खदेड़ा
रैबार डेस्क: एक तरफ आदमखोर बाघ औऱ गुलदार के आतंक से पहाड़ हलकान है, वहीं पहाड़ में कुछ ऐसी साहसी महिलाएं भी हैं जो जान की बाजी लगाकर न सिर्फ आदमखोर से मुकाबला करती हैं, बल्कि बाघ के जबड़े से सहेली को खींचकर वापस ला जाती हैं। ये घटना चंपावत की है जहां जानकी देवी से साहस और वीरता की मिसाल पेश की है।
दरअसल टनकपुर के पास ऊंचौलीगोठ निवासी गीता देवी, पत्नी रमेश सिंह, मंगलवार सुबह दो अन्य महिलाओं जानकी देवी (36) और पार्वती देवी (37) के साथ घास लेने के लिए चार किमी दूर बूम रेंज के जंगल में गई थीं। इस दौरान बाघ ने गीता देवी पर हमला कर दिया। शोर सुनने के बाद कुछ दूरी पर घास काट रहीं जानकी देवी और पार्वती ने ने हिम्मत कर बाघ पर लकड़ी-पत्थर बरसाए। बाघ पीछे हटा लेकिन कुछ ही देर बाद उसने महिला पर दोबारा हमला किया और करीब चार मीटर तक गीता देवी को घसीटता हुआ ले गया। इसके बाद मानो जानकी देवी पर मां पूर्णागिरी का रूप अवतिरित हो गया। जानकी देवी ने दराती और पत्थर से बाघ पर ताबड़तोड़ हमले किए जिससे वह जंगल की ओर भाग गया। घायल महिला को ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचाया, जहां उनके सिर पर 21 टांके आए। इलाज के बाद उसकी हालत खतरे से बाहर है। इधर परिजनों के आग्रह पर महिला को सीटी स्कैन के लिए हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर किया गया है।
जानकी को भी लगा बाघ का पंजा
गीता महर को बाघ के जबड़े से बचाकर लाने वाली जानकी महर ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। जानकी के मुताबिक बाघ और उनके बीच का फासला महज कुछ सेंटीमीटर का था। उन्होंने दराती और पत्थरों से बाघ पर प्रहार शुरू कर दिया था। जबड़ों से शिकार छीनने की कोशिश करने पर बाघ काफी उग्र हो उठा था। जानकी बाघ पर एकाएक प्रहार करती रहीं। उग्र बाघ ने जानकी पर भी पंजा मारा। इस पर बचाव में जानकी ने बाघ पर एक बार फिर से दराती से प्रहार कर दिया था। उसके बाद बाघ घायल शिकार छोड़ जंगल की ओर भाग गया था।
जानकी के हौसले और जज्बे की हर कोई तारीफ कर रहा है।