2024-04-26

देहरादून-  कोरोना वायरस दुनिया में मुसीबत का सबब बना है, लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय़ क्षेत्रों में एक अवसर भी लेकर आया है। लॉकडाउन के कारण हजारों प्रवासी उत्तराखंडी अपने गांव लौट रहे हैं। वो शहरों की मुश्किल जिंदगी और रोजी रोटी के संकट से वाकिफ हैं, इसलिए ज्यादातर प्रवासी अब अपने गांव में रहने की सोच रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार ने भी प्रवासियों की मनसा समझते हुए स्वरोजगार के लिए द्वार खोल दिए हैं। सब कुछ सही रहा तो मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से पहाड़ के हर गांव में लोग अपना व्यवसायय शुरू कर सकेंगे। अपने बंजर खेतों को आबाद करेंगे, उजड़े घरों को संवारेंगे।

उत्तराखंड में अचानक प्रवासियों की बड़ी संख्या से अवसरों के नए द्वार खुले हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे सकारात्मक रूप से देखते हुए जबरदस्त प्लान तैयार किया है। घर लौटे प्रवासियों और स्थानीय निवासियों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की जा रही है। आइए जानते हैं क्या है यह योजना औऱ कैसे इसका फायदा मिलेगा

क्या है मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना

इस योजना  के तहत अपने गांव लौटे प्रवासी अपने अनुभव के आधार पर मेन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के साथ ही छोटा व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। क्सी भी व्यनवसाय को शुरू करने के लि एपूंजी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। सरकार ने पूंजी की व्यवस्था के लिए लोन का प्रावधान किया है। इस लोन पर सब्सिडी भी दी जाएगी।

सरकार ने इस योजना में उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को पहाड़ों में रोकने पर फोकस किया है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में दुकान खोलने से लेकर मुर्गीपालन, पशुपालन, डेयरी जैसे व्यवसाय शुरू करने से लेकर 25 लाख तक के मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर के उद्योग लगाए जा सकते हैं। कोई व्यक्ति यदि राज्य में दुकान, डेरी, मछली पालन, व्यूटी पार्लर, पशुपालन, मुर्गी पालन, बार, होटल, रेस्टोरेंट, लाइसेंस के तहत मीट की दुकान या अन्य किसी भी प्रकार का कारोबार शुरू कर सकता है। नई योजना में काम के लिए कोई श्रेणी तय नहीं की गई है लोग कोई भी प्रोजेक्ट लगा सकता हैं।

भारी सब्सिडी

इस योजना के तहत यदि दूरस्थ जिलों में कोई मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट लगाता है तो 25 लाख की परियोजना पर उसे छह लाख यानी करीब 25% की सब्सिडी मिलेगी। इसी तरह बी श्रेणी के जिलों में यह सब्सिडी 20% जबकि मैदानी क्षेत्र में प्रोजेक्ट पर 15% सब्सिडी मिलेगी। इसी तरह यदि कोई दूरस्थ पहाड़ी जिलों में 10 लाख की परियोजना शुरू करता है तो उसे 25 प्रतिशत यानी ढाई लाख की सब्सिडी मिलेगी। बी श्रेणी के जिले में यह सब्सिडी 20 प्रतिशत जबकि मैदान में 15 प्रतिशत होगी।

इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यहहै कि परियोजना को स्वीकृति मिलने के बाद जैसे ही बैंक फाइनेंस करने को तैयार होगा वैसे ही प्रोजेक्ट लगाने वाले व्यक्ति को सब्सिडी का लाभ मिल जाएगा। यानी परियोजना शुरू होने से पहले ही उसे सब्सिडी मिल जाएगी।जिससे बैंक भी परियोजना में दिलचस्पी लेगा और स्वरोजगार शुरू करने वाले व्यक्ति को सरकार की ओर से शुरू में ही मदद मिल जाएगी। ।

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