गढ़वाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने बांटे गोल्ड मेडल, कहा अपनी जड़ों को न भूलें
रैबार डेस्क: उत्तराखंड दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बदरीनाथ धाम के दर्श करने के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 11वेँ दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। राष्ट्रपति ने ‘सशक्त महिला, समृद्ध राष्ट्र’ थीम के साथ दीक्षांत समारोह में 59 स्वर्ण पदक, 1182 स्नातकोत्तर डिग्रियां और 98 पीएचडी डिग्रियां प्रदान की। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ,मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी, कुलाधिपति डॉ योगेन्द्र नारायण, कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल मौजूद रहे। इस दौरान 44 मेधावी छात्र छात्राओं को राष्ट्रपति ने स्वर्ण पदक प्रदान किए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने विश्वविद्यालय के निर्माण के ऐतिहासिक आन्दोलन से लेकर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के लिए बधाई दी। उन्होंने दीक्षार्थियों को जीवन में तीन बातों को याद रखने की सलाह देते हुए कहा कि वे अपनी जड़ों को न भूलें, सच्चाई, ईमानदारी और निष्पक्षता जैसे नैतिक मूल्यों से कभी समझौता न करें और अर्जित शिक्षा के के बल पर समाज के विकास में योगदान देते हुए विकास से वंचित लोगों की मद्द करें।
उन्होंने कहा कि उतराखंड कई वीरों, साहित्यकारों, राजनीतिज्ञों की भूमि है, इस भूमि ने सुमित्रा नंदन पंत, मनोहर श्याम जोशी, शिवानी, हिमांशु जोशी जैसे साहित्यकारों और डॉ भक्त दर्शन, प. गोविन्द बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, योगी आदित्यनाथ जैसी प्रतिभाओं की जन्म दिया है। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में पुरूस्कृत सृष्टि लखेड़ा कृत ‘एक था गांव’ का जिक्र करते हुए कहा कि पहाड़ का जीवन संघर्षमय है लेकिन केन्द्र व राज्य सरकार संतुलित विकास और स्थानीय रोजगार सृजन की ओर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में जिस भूमि से चिपको आन्दोलन हुआ है वहाँ विश्वविद्यालय के उच्च हिमालयी पादप संरक्षण शोध केन्द्र (हैप्रेक) तथा पर्यावरण विभाग के द्वारा हिमालयी क्षेत्र के जैव-संसाधनों के संरक्षण को लेकर किए जा रहे अनुसंधान सराहनीय है।
इस अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवा निवृत) ने कहा कि गढ़वाल विश्वविद्यालय को पहाड़ के लोगों ने लंबे संघर्ष और ऐतिहासिक आन्दोलन से बनाया और विश्वविद्यालय ने विगत 50 वर्षों में निरंतर ज्ञान और शोध के क्षेत्र में बड़े कीर्तिमान स्थापित किए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के लिए प्राकृतिक कृषि एक गेम चेंजर विकास का मॉडल साबित होगा, साथ ही उन्होंने कृषि के साथ-साथ पर्यटन को अध्यात्म से जोड़ने की बात कही।
मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीक्षांत समारोह में कहा कि दीक्षांत समारोह की थीम ’’सशक्त महिला, समृद्ध भारत’’ के अनुरूप माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु जी महिला सशक्तिकरण का सर्वोत्तम उदाहरण है जिन्होंने अपनी जीवटता और समर्पण शक्ति के बलबूते संघर्ष को शक्ति में बदलने की प्रेरणा दी है।
इस अवसर पर कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु और सभी अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय का विस्तृत एतिहासिक परिचय दिया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में शिक्षकों द्वारा 644 शोधपत्र, 191 बुक चैप्टर, 39 पुस्तक प्रकाशन, 04 पेटेंट समेत कई एमओयू पर कार्य चल रहा है। कुलपति प्रो नौटियाल ने बताया कि यूजीसी के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में नवाचार प्रकोष्ठ तथा शोध एवं विकास प्रकोष्ठ स्थापित किए हैं वहीं ’आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में हार्टिकल्चर, रूरल टैक्नोलॉजी, हैप्रेक और जन्तु विज्ञान विभागों समेत अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केन्द्र जैसी विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।