2024-05-15

उत्तराखंडियत के मुद्दों पर जनसैलाब का सीएम आवास कूच, मूल निवास वर्ष 1950 करने की मांग

andolankari march towards cm awas demanding strict land law and 1950 domicile

रैबार डेस्क:  उत्तराखंड में मूल निवास का कट ऑफ वर्ष 1950 करने, राज्य में सशक्त भू कानून लागू करने और धारा 371 के प्रावधान लागू करने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारी मंच के नेतृत्व में विशाल जन सैलाब ने परेड ग्राउंड से सीएम आवास कूच किया। प्रदर्शनकारियों को हाथीबड़कला बैरियर पर रोक दिया गया। इस दौरान बोल पहाड़ी हल्ला बोल के नारे गूंजते रहे।

मूल निवास औऱ भू कानून जैसे मुद्दे उत्तराखंडियत के अहम पहलू हैं। इसी उत्तराखंडियत की भावना को जगाने के लिए राज्य आंदोलनकारी मंच ने सीएम आवास कूच का एलान किया था। उत्तराखंड क्रांति दल, यूकेडी की यूथ विंग, बेरोजगार संघ और अन्य संगठनों ने मार्च को सपोर्ट किया और विशाल संख्या में युवा, महिला, बुजुर्गों ने कूच में हिस्सा लिया। हाथीबड़कला बैरियर पर प्रदर्शनकारियों की पुलिस से नोंकझोंक भी हुई। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी ने बैरिकेट पर चढ़ गए।

आंदोलनकारियों की सबसे बड़ी मांग मूल निवास को लेकर है। दरअसल उत्तराखंड में राज्य गठन के समय यहां रह रहे लोगों को स्थायी निवासी का दर्जा प्राप्त है। सरकार मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के बजाए स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करती है। इससे स्थानीय लोगों को हक हकूकों पर मार पड़ रही है।

बाहरी प्रदेशों का कोई भी व्यक्ति आसानी से उत्तराखंड का स्थायी निवासी बन जा रहा है और राज्य की तमाम योजनाओं और नौकरियों का लाभ ले रहा है। जबकि संविधान में साफ कहा गया है कि वर्ष 1950 में जो व्यक्त जिस राज्य में रह रहा हो, वो औऱ उसकी पीढ़ियां उसी राज्य की मूल निवासी होंगी। लेकिन उत्तराखंड में किसी दूसरे राज्य के मूल निवासी लोग भी आसानी से स्थायी निवासी बन रहे हैं औऱ तमाम योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।

प्रदर्शकारियों का कहना है कि सरकारों के संरक्षण में बाहरी लोग हमारे  जल जंगल और जमीन के संसाधनों का लाभ ले रहे हैं। उत्तराखंड का मूल निवासी बेरोजगार घूम रहा है और स्थायी निवासी सरकारी नौकरियां पा रहे हैं। जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त पर रोक लगाने के लिए सख्त भू कानून की जरूरत है। प्रदर्शकारियों का कहना है कि सरकार इन मांगों को तत्काल स्वीकार करे और राज्य की अस्मिता को बचाने का संकल्प दिखाए।

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