2024-05-17

बिना किसी दबाव में पारदर्शी तरीके से काम करेगा UKSSSC, परीक्षा पैटर्न में बदलाव संभव- मर्तोलिया

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रैबार डेस्क:  भर्ती घोटालों से दागदार हुई छवि को बदलने के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC)लगातार प्रयासरत है। UKSSSC के अध्यक्ष जी एस मर्तोलिया कता कहना है कि भर्तियों में गड़बड़ी करने वालों की मंशा कभी कामयब नही होगी। मर्तोलिया ने दावा करते हुए कहा कि आयोग किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। और पूरी पारदर्शिता से काम कर रहा है।

मर्तोलिया ने कहा कि 9 महीने पहले एक चैलेंज था कि आयोग पर युवाओं का विश्वास कैसे बहाल किया जाए। इसके लिए आयोग ने कई कदम उठाए। आयोग के कर्मचारियों से बातचीत की। छात्रों से युवाओं से लगातार संवाद कायम किया और उन्हें ये भरोसा दिलाया कि परीक्षाएं पूरी पारदर्शिता से संपन्न होंगी। दूसरी तरफ एसटीएफ की जांच में जो भी निकलकर सामने आया उस पर आयोग ने सख्त एक्शन लिया और दोषियों को डिबार करने में कोई कसर नही छोड़ी। मर्तोलिया ने माना कि आयोग से लगातार लापरवाहियां होती रही जिसकी वजह से अविश्वास पनपा। लेकिन आयोग ने उससे सबक लिया और आगे बढ़े।                        

जीएस मर्तोलिया का कहना है कि किसी भी चीज को ज्यादा देर तक रखने से उसमें खराबी आने या सड़ने का खतरा रहता है। स्नातक स्तरीय परीक्षा में भी ऐसा ही था, इसलिए जल्द से जल्द ओएमआर शीट की जांच की गई, आपत्तियों का निस्तारण किया गया। शायद यही वजह है कि स्नातक स्तरीय जिस परीक्षा के कारण आयोग को सबसे ज्यादा बदनाम होना पड़ा, उसका न सिर्फ पारदर्शी तरीके से सफल आयोजन कराया बल्कि रिकॉर्ड समय में रिजल्ट घोषित करके आगे की कार्रवाई भी की।

जीएम मर्तोलिया ने कहा कि पेंडेंसी के बैकलॉग को खत्म करना उनकी पहली प्राथमिकता है। जो भी अध्याचन आयोग को मिलते हैं उनकी कोशिश होती है कि 100 फीसदी पदों पर चयन हो और ये विभागों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि जितने पदों पर चयन हो रहा है, उन सभी पर नियुक्तियां दी जाएं, जिससे पेंडेंसी न बढ़े।

यूकेएसएसएससी की भविष्य की रणनीति के बारे में मर्तोलिया ने कहा कि एग्जाम पैटर्न में इस बार थोड़ सा बदलाव किया गया था औऱ ये बदलाव आगे भी जारी रहेगा जिससे गड़बड़ी की आशंकाओं को बेहद कम किया जा सके। इसके लिए आयोग आगे से 2 स्टेज एग्जाम कराने पर विचार कर रहा है। यानी प्री और मेंस एग्जाम पैटर्न अपनाने पर फोकस किया जा रहा है। मर्तोलिया का मानना है कि इससे अनावश्यक भीड़ कम होगी और परीक्षाओं में ज्यादा पारदर्शिता आएगी।       

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