पहाड़ के सपूत का कमाल, बिना मिट्टी के ही उगा दिए पौधे, हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का किया प्रयोग
विपिन बडोनी ने किया हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का सफल ट्रायल
घर में ही बिना मिट्टी के उगाए कई पौधे
बिना मिट्टी के ही उग जाते है पौधे
इजरायल की तकनीक का उत्तराखंड में सफल प्रयोग
देहरादून: लॉकडाउन में जहां काफी लोग घरों से बाहर निकलने को तरसते रहे, वहीं पहाड़ के एक युवा ने घर मैं बैठे बैठे कमाल कर दिया। मूल रूप से टिहरी के विपिन बडोनी ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के ही पौधे उगाने का कमाल कर दिखाया है। विपिन की इस उपलब्धि के बाद हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर चर्चाएं गर्म हो गई हैं।

Hydroponics Culture system 
Seeds germination in Hydroponics
देहरादून की विष्णुपुरम कालोनी मे रहने वाले विपिन बडोनी पिछले 4 साल से मशरूम सीड कल्टीवेशन पर काम कर रहे हैं, टिहरी और रुद्रप्रयाग जिलों में कई महिला समूहों को ट्रेनिंग दे चुके विपिन मशरूम उत्पादन से अच्छा खासा नाम कमा चुके हैं। लॉकडाउन के दिनों में विपिन जब घर में कैद हो गए तो उनके दिमाग में एक नया आइडिया आया। हालांकि वे तीन साल से इसके बारे में पढ़ रहे थे, लेकिन इसे धरातल पर उतारने के लिए पहली बार प्रयास किए।
बिना किसी ट्रेनिंग लिए विपिन ने सेल्फ स्टडी जारी रखी और अपने घर में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर हाथ आजमाए। विपिन ने एक महीने के भीतर सभी जरूरी उपकरण जुटाए और किताबों से सीखकर हाइड्रोपोनिक्स का सिस्टम तैयार किया। सभी जरूरी प्रक्रियाएं निपटाने के बाद तीन दिन के भीतर पानी के टैंक में बीज अंकुरित हुए तो विपिन की उम्मीदों का भी नया सूरज उगने लगा। विपिन ने शुरुआती तौर पर पालक, राई, धनिया, बैंगन, पुदीनै जैसे पौधे हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से उगाए हैं। उम्मीद है कि इस सफल प्रयोग के बाद कृषि क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले इस दिशा में जरूर विचार करेंगे।

plant growing without soil 
उत्तराखड रैबार से बात करते हुए विपिन ने कहा कि, यह खाली समय में सबसे अच्छा सदुपयोग हुआ है। लॉकडाउन मे कुछ नया करने का आइडिया दिमाग में आया तो मैने हाइड्रोपोनिक्स के बारे में जानकारी जुटाई, मैने इसके लिए किसी से ट्रेनिंग नहीं ली, लेकिन घर पर ही प्रयोग शुरू किया है। मुझे खुशी है कि इस दिशा में मेरा शुरुआती प्रयोग सफल रहा है।
क्या है हाइड्रोपोनिक्स तकनीक
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक एक इजरायली तकनीक है। इस तकनीक में बिना मिट्टी के भी, केवल पानी में पौधे उगाए जा सकते हैं। इजरायल जैसे देश में उपजाऊ जमीन की भारी कमी है इसिलए वहां ये तकनीक काफी पॉपुलर है। आमतौर पर पानी के टैंक या पाइप को प्लांट कल्चर के लिए तैयार किया जाता है जिसमें जरूरी पोषक तत्व डालकर पौधे उगाए जा सकते हैं।
विपिन ने ऐसे किया सफल प्रयोग
विपिन द्वारा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का संभवत उत्तराखंड में यह पहला प्रयोग है। इसके लिए आपको पानी का एक छोटा सा साफ टैंक और कुछ पीवीसी पाइप की जरूरत होती है। पाइप का कुछ और भी विकल्प हो सकता है।
*विपिन ने सबसे पहले पानी का सप्लाई के लिए एक टैंक बनाया, इस टैंक को पीवीसी पाइप के जरिए जोड़ दिया
* इसमें एक मोटर फिट की जिससे कि पानी की सप्लाई पाइपों में बनी रहे और पाइप में आने वाला पानी फिर से टैंक में वापस जा सके।
* इसके बाद टैंक में नारियल का बुरादा डाला, इसके साथ ही वर्मी कंपोस्ट खाद डाली, और बीज बो दिया
*बीज के अंकुरण के लिए इसमे उचित पोषक तत्व डाले जाते हैं, जो पोषक तत्व मिट्टी से मिलते हैं उन्हें पाइप में डाला जाता है।
*इस तरह पोषक तत्व मिलने पर नमी पाकर बीज अंकुरित हो जाते हैं।
*विपिन ने महज तीन दिन के बीतर ही बीजों का अंकुरण करके दिखाया।

विपिन की मशरूम कल्चर लैब 
महिलाओं को ट्रेनिग देते विपिन
पहाड़ के लिए फायदमेंद है हाइड्रोपोनिक्स
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पहाड़ के लिए बहुत लाभदायक हो सकती है। अक्सर छितरी जोत औऱ बंजर जमीन के चलते केवल पानी की सप्लाई पर सब्जियां उगाने में यह तकनीक मददगदार साबित हो सकती है। इस तकनीक से केवल सब्जियां ही नहीं, बल्क हर तरीक के पौधे उगाए जा सकते हैं। इसके लिए जो टैंक तैयार किया जाता है उसमें सूक्ष्म स्तर पर मछली पालन का कार्य भी हो सकता है।
