2024-05-04

समान नागरिक संहिता बिल विधानसभा में पेश, सदन में हो रही है चर्चा, विपक्ष ने उठाई प्रवर समिति को सौंपने की मांग

रैबार डेस्क :  उत्तराखंड विधानसभा ने आज इतिहास रच दिया। सुबह करीब 11.30 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 को सदन के पटल पर रखा। जिसके बाद विपक्ष ने चर्चा से पूर्व बिल के अध्ययन के लिए समय मांगा। स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने दोपहर दो बजे तक का समय अध्ययन के लिए जिसके बाद बिल पर सदन में व्यापक चर्चा हुई। सत्त पक्ष ने जहां बिल की खूबियों को गिनाया वही विपक्ष ने बिल की खामियां गिनाते हुए इसे संशोधन के लिए विधानसभा की प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव स्पीकर को दिया। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोंकझोंक भी दिखाई दी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हाथ में संविधान की प्रति के साथ समान नागरिक संहिता बिल को लेकर सदन पहुंचे। करीब 11.30 बजे मुख्यमंत्री ने जैसे ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 सदन के पटल पर रखा, सदन जय श्री राम और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।

प्रेमचंद अग्रवाल

दोपहर बाद सदन में बिल पर चर्चा शुरू हुई। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बिल की खूबियां गिनाते हुए कहा कि  विधेयक में कई प्रावधान किए गए हैं जैसे कि शादी रजिस्ट्रेशन जरूरी, बहुविवाह पर रोक जैसे प्रावधान हैं। यह बिल समाज में एक रूपता लाने के साथ समान रूप से अधिकारों के संरक्षण के लिए है। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि विपक्ष की सरकारें आजादी के बाद लंबे समय तक राज करती रही लेकिनवोट बैंक की खातिर किसी ने यूसीसी लागू करने कि जहमत नहीं उठाई।

यशपाल आर्य

विपक्ष की ओर से चर्चा शुरू करते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बिल की खामियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी में सभी धर्मों के लोगों को शामिल नही किया गया, जिससे अन्य सबी धर्मों के कंसर्न एड्रेस नहीं हो पाए। आर्य ने कहा कि मैरिज एक्ट में अंतर और एकरूपता कैसे आएगी, इस पर बिल में कुछ नहीं कहा गया। आर्य ने सवाल उठाया कि क्या राज्य को अधिकार है कि हम संघवर्ती मामलों के लिए कानून बना सकें। समान नागरिक संहिता पर  2016 विधि आयोग की रिपोर्ट को नकारा गया। फिर से 2023 में विधि आयोग गठन किया गया। उसकी संस्तुतियों का इंतजार नहीं किया, अमल नहीं किया। संविधान के अनुच्छेद 254 के तहत भारत सरकार के कानून को मान्यता दी जाएगी, ऐसे में केंद्र यूसीसी लाए तो इस कानून का क्या होगा? आर्य ने कहा कि जनाजीतय आदिवासी वर्ग को यूसीसी से बाहर रखा गया, एक तरफ आप महिलाओं के अधिकारों और उन्नति का बात कर रहे हैं तो क्या 4 फीसदी जनजातीय महिलाओं को इन हकों वंचित नही रखा जा रहा? सीमावर्ती पड़ोसी राज्यों से विवाह करके वधू को लाने पर क्या ये कानून प्रभावी होगा, इस पर चर्चा होनी चाहिए।अत समान नागरिक संहिता विधेयक को व्यापक चर्चा और अध्ययन के लिए प्रवर समिति को सौंपा जाए. इसके लिए मैं आपको पत्र प्रेषित कर रहा हूं।

आर्य ने कहा कि करप्शन, पलायन, कानून व्यवस्था, भू कानून, मूल निवास जैसे ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान देने के बजाए सरकार इस पर प्रश्नकाल तक नहीं करा रही।

मदन कौशिक

बीजेपी विधायक मदन कौशिक ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 366 की अनुसूची 6 में कहा गया है कि जनजातियों को विशेष अधिकार दिए जाएं, इसी आधार पर जनजातियों को यूसीसी की परिधि से बाहर रखा गया है

रेखा आर्या

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि यूसीसी बिल महिलाओं को और अधिकार देता है, वंचित महिलाओं को सशक्त करता है। यह बिल महिलाओं की गरिमा को संरक्षित करता है। समाज सुधार की दृष्टि ये बहुत बड़ा सुधारात्मक कदम है।

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