2024-05-04

वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखंड में हुए ये बड़े काम, CM ने की उरेडा योजनाओं की समीक्षा

देहरादून:  उत्तराखंड वैकल्पिक ऊर्जा का पावर हाउस बनने की क्षमता रखता है। अगर गंभीरता से इस पर काम किया जाए तो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा औऱ बायोमास ऊर्जा के प्रचुर उत्पादन की संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को सचिवालय में उत्तराखंड नवीनीकरण ऊर्जा विकास एजेंसी यानी उरेडा द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाय।

समीक्षा के दौरान सीएम ने कहा कि उरेडा द्वारा जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनका विकासखण्ड मुख्यालय पर होर्डिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी किया जाय। पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह एवं एनजीओ को कैसे जोड़ा जा सकता है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्वतीय जनपदों में दो-दो ब्लॉक ऐसे चिन्हित किये जाय, जहां पिरूल अधिक है। इन ब्लॉकों में मॉडल ब्लॉक के रूप में कार्य शुरू किये जाय। पिरूल से बिजली उत्पादन में रोजगार में बहुत संभावनाएं है। महिला स्वयं सहायता समूहों को और अधिक एक्टिव किया जाय। इसके लिए जनपद स्तर पर डीएफओ को नोडल अधिकारी बनाया जाय। पिरूल नीति से बिजली उत्पादन के साथ ही वनाग्नि की समस्या का समाधान भी होगा।  सीएम ने कहा कि  स्वयं सहायता समूहों द्वारा जो बिजली के उपकरण बनाये जा रहे हैं, उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय। विशेष उत्सवों एवं पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय।

वैकल्पिक ऊर्जा में हुआ इतना काम

बैठक में ऊर्जा सचिव राधिका झा ने सरकार द्वारा वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र मे किए गए कार्यों की जानकार दी।

*सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 272 मेगावाट के कार्य स्थापित हो चुके हैं, 2019 -20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 मेगावाट सौर परियोजनाएं आवंटित की गई है। जिसका कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा।

*203 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के स्थायी निवासियों को आवंटित की गई थी, करोना के कारण इनकी प्रोसेसिंग में देरी हो रही है।

*लघु जल विद्युत के 202 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं।

*बायोमास एवं को-जनरेशन के क्षेत्र में 131 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 39 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं।

*नगरीय कूड़े से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट-टु-इनर्जी नीति का गठन किया गया है।

*पिरूल नीति-2018 के अन्तर्गत ऊर्जा उत्पादन हेतु 1060 किलोवाट क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं। प्रदेश में वैकल्पिक योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु ग्रीन सैस एक्ट पारित किया गया है।

*प्रदेश के सरकारी आवासीय विद्यालयों में निवासरत छात्रों को गर्म पानी की सुविधा हेतु कुल 50500ली. प्रतिदिन क्षमता के सोलर वाटर हीटिंग संयंत्र स्थापित किये गये हैं।

*एलईडी ग्राम योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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