2024-04-25

करतूत: मामूली शरारत पर नाबालिग बच्चों के सिर पर डलवाया लीसा, आंखों में सूजन आई

Contractor forced kids to pour resin on their heads

रैबार डेस्क:  अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र में लीसा ठेकेदार द्वारा मामूली शरारत करने वाले मासूम बच्चों के ऊपर लीसा डलवाने का वीडियो वायरल हो रहा है। (Contractor forced kids to pour resin on their heads) इस घटना से बच्चों को बड़ा खतरा पैदा हो गया था। बाल कल्याण समिति ने ठेकेदार की इस हरकत को गंभीरता से लिया है।

दरअसल स्याल्दे तहसील में ग्राम पंचायत टिटरी में 5 मासूमों के साथ एक दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई। ये बच्चे गाय चराने जंगल में गए थे, वहां उन्होंने मामूली शरारत करते हुए लीसा के कुप्पों को फेंक दिया था।इतनी सी बात पर लीसा ठेकेदार के कर्मचारियों का पारा इतना हाई हो गया कि कर्मचारी बच्चों को उनके घर से पकड़कर लीसा डीपो लाए। पहले तो उनके नाम और पहचान पूछी और फिर उन्हें लीसा के कुप्पे देकर अपने अपने सिर पर डालने को कहा। डरे सहमे बच्चों ने लीसा के कुप्पे अपने सिर पर उड़ेल दिए।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि ठेकेदार के कर्मचारी बच्चों को लगातार धमका रहे हैं, उनसे कह रहे हैं, क्या करोगे जिंदगी भर, आगे से ऐसा करोगे? चलो इसे अपने सिर पर डालो। इस घिनौने कृत्य का वीडियो भी स्वयं लीसा कर्मचारी ने बनाया है। लीसा डालते हुए बच्चे बोल रहे हैं कि उनकी आंखों में जलन हो रही है। लेकिन लीसा ठेकेदार के कर्मचारियों पर कोई असर नही हुआ। इस घटना से बच्चों की जान को बडा खतरा पैदा हो गया था। बताया जा रहा है कि लीसा के कारण कुछ बच्चों की आंख पर सूजन भी आ गई है।

उधर मामला संज्ञान में आते ही बाल कल्याण समिति ने इस कृत्य को गंभीर मानते हुए एसएसपी को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। जिन पांच बच्चों पर लीसा डाला है, वे बच्चे नाबालिग हैं और उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जाना निंदनीय और शारीरिक हिंसा की श्रेणी में आता है। समिति ने कहा कि नाबालिग बच्चों के साथ शारीरिक हिंसा बाल अधिकार और किशोर न्याय अधिनियम का भी उल्लंघन भी है। समिति ने इस पर कार्यवाही की जानी चाहिए।

क्या है लीसा

लीसा चीड़ के पेड़ से निकलने वाला गोंद की तरह चिपचिपा पदार्थ होता है। इसे रेजिन भी कहते हैं। लीसा (रेजिन) राजस्व प्राप्ति का बड़ा जरिया है। लीसा का उपयोग तारपीन का तेल बनाने में होता है। उत्तराखंड के वन विभाग को अकेले लीसा से सालाना डेढ़ से दो सौ करोड़ की आय होती है।

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