हरिद्वार कुंभ : मकर संक्रांति पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, पहले पर्व स्नान पर उमड़ा जनसैलाब
मकर संक्रांति पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब। हर की पैड़ी पर लाखों लोगों ने लगाई डुबकी। हरिद्वार कुंभ का पहला पर्व स्नान। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम।
हरिद्वार: मकर संक्रांति का पावन पर्व के साथ ही हरिद्वार कुंभ 2021 (Haridwar Kumbh 2021) का अनैपचारिक आगाज हो गया है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर आज सुबह तड़के 4 बजे से ही लाखों श्रद्धालु गंगा (Ganga) में डुबकी लगाने के लिए उमड़ते रहे।
हालांकि कोरोना गाइडलाइ के चलते इस बार 2010 के कुंभ के मुकाबले कम श्रद्धालु आए, लेकिन हरिद्वार कुंभ का पहला पर्व स्नान होने के कारण हरिद्वार आए श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया।
श्रद्धालुओं ने सुबह 4 बजे ब्रह्ममुहूर्त से ही हरकी पैड़ी , ब्रह्मकुंड सहित अन्य गंगा स्नान घाट पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। कड़ाके की ठंड और भारी कोहरे के बीच सुबह के शुरू हुआ स्नान का क्रम दिन चढ़ने के साथ तेजी पकड़ता गया। कुमाऊं और गढ़वाल से ढोल दमाऊं के साथ देव डोलियां लेकर पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी हरकी पैड़ी पर अपने देवी-देवताओं को स्नान कराया।
कुंभनगरी गंगा मैया की जय औऱ हर हर गंगे के नारों से गुंजायमान है। गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उत्तर भारत से पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के हरिद्वार पहुंचने की संभावना है। प्रशासन इसे कुंभ के ट्रायल के रूप में ले रहा है। लिहाजा भीड़ के मद्देनजर मेला पुलिस और प्रशासन ने व्यवस्थाएं चाक-चौबंद कर दी हैं।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं औऱ मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्त्व है और माना जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान कर तिल व खिचङी और गर्म कपडे आदि का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। स्नान के चलते पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के खास प्रबंध किए गए है ।
हरिद्वार महाकुंभ 2021 में इस बार पहला शाही स्नान 11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन है। 12 अप्रैल को चैत्र अमावस्या को दूसरा शाही स्नान, 14 अप्रैल बैशाखी को तीसरा और 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा को चौथा शाही स्नान होगा। कुंभ के दौरान आज 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पहला पर्व स्नान हो रहा है। 11 फरवरी को मौनी अमावस्या पर, 16 फरवरी को बसंत पंचमी पर, 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा के अवसर पर भी कुंभ के पर्व स्नान होंगे। इस बार ग्रह गोचर के चलते हरिद्वार में 12 साल के बजाए 11 साल में ही महाकुंभ लग रहा है जिसे अद्भुत माना जा रहा है।