भिक्षा मांगने वाली डबल M.A. हंसी को मिलेगी नौकरी, राज्यमंत्री रेखा आर्या ने जाना हंसी का हाल
भीख मांगने को मजबूर हैं डबल एमए हंसी प्रहरी। रह चुकी छात्रसंघ उपाध्यक्ष। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं हंसी। राज्यमंत्री रेखा आर्या ने दिया नौकरी का भरोसा।
हरिद्वार: सोशल मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल हो तो इससे बड़ा परिवर्तन संभव है। कुछ दिन पहले दिल्ली में एख बुजुर्ग दंपति द्वारा संचालित बाबा का ढाबा रातोंरात चमक गया। इसी तरह उत्तराखंड में भी सोशल मीडिया की ताकत से अल्मोड़ा की हंसी प्रहरी (Hansi Prahri) की तकदीर भी बदलने के प्रयास हुए हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय से डबल एमए करने वाली हंसी हरिद्वार में भीख मांगने को मजबूर थी, लेकिन जब यह मामला मीडिया व सोशल मीडिया में उछला तो स्वयं महिला एवं बाल विकास मंत्री (Rekha Arya) ने उनका हाल जानकर उन्हें नौकरी देने का भी भरोसा दिलाया है।
अल्मोड़ा जिले के रणखिला गांव की निवासी हंसी प्रहरी कुमाऊं विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी हैं। हंसी अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान विषयों से एमए कर चुकी हैं। छात्रसंघ उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलती हैं। लेकिन हालातों ने इतना मजबूर किया कि उन्हें हरिद्वार की सड़कों पर भीख मांगकर अपना और अपने बच्चे का पेट पालना पड़ा रहा है। हालांकि हंसी ने सिर्फ अपने बेटे की पढ़ाई के लिए लिए भिक्षावृत्ति की है।
यह बात अखबारों और सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो लाकों लोगों ने हंसी के बारे में उत्सुकता जताई। खुफिया विभाग ने हंसी के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। यह खबर जब महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या तक पहुंची तो वे भी मंगलवार को हरिद्वार पहुंची औऱ हंसी से मुलाकात की। इस दौरान मंत्री रेखा आर्य ने हंसी को समाज कल्याण विभाग में नौकरी देने की बात कही। रेखा आर्या ने हंसी को नारी निकेतन में रुकने को कहा लेकिन खुद्दार हंसी ने इस बात पर गौर करने के लिए एक दिन का समय मांगा है। नौकरी से पहले हंसी की काउंसिलिंग की जाएगी।
मंत्री से मुलाकात में हंसी ने कहा कि वह अल्मोड़ा या देहरादून नहीं जाना चाहती हैं। वह हरिद्वार में ही रहना चाहती हैं। राज्यमंत्री ने फिलहाल हिद्वार में ही हंसी के रहने के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।
उधर प्रशासन ने भी हंसी प्रहरी से मिलकर हालचाल जाना और तीन दिन के अंदर आवास दिलाने का आश्वासन दिया। हंसी की मदद के लिए कई समाजसेवी और संस्थाएं भी आगे आई हैं। बहरहाल उत्तराखंड रैबार ये उम्मीद करता है कि हंसी प्रहरी जैसी स्वाभिमानी महिलाएं सम्मानजनक जीवन जीने की ओऱ बढ़ेंगी औऱ मुख्यधारा में शामिल होंगी।