2025-05-20

Kedarnath Yatra: घोड़े-खच्चरों के संचालन पर 24 घंटे की रोक, 14 घोड़े खच्चरों की मौत, यात्रियों की बढ़ेगी मुश्किलें

रैबार डेस्क: श्री केदारनाथ धाम के यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन पर 24 घंटे की रोक लगाई गई है। दो दिन में 14 घोडे खच्चरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग हरकत में आया है। घोड़े खच्चरों की मौत पर एक्वाइन इंफ्लुएंजा वायरस के संक्रमण की आशंका जताई जा रही है। इसलिए पशुपालन विभाग ने मामले की जांच के लिए यात्रा मार्ग पर 24 घंटे तक घोड़े खच्चर संतालन पर रोक लगा दी है। बीमार पशुओं को क्वारंटाइन करके सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।

पशुपालन विभाग के सचिव डॉ वी आर पुरुषोत्तम एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की शिकायत आने पर रुद्रप्रयाग पहुंचे। उन्होंने बताया कि दो दिन में 14 पशुओं की मौत के बाद केदारनाथ मार्ग पर 24 घंटे के लिए घोड़े-खच्चरों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। सचिव ने बताया कि अस्वस्थ पशुओं को पृथक कर क्वारंटाइन किया जाएगा एवं राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार को प्रेषित की गई जांच रिपोर्ट आने तक रोक जारी रहेगी। अस्वस्थ पशु को अलग रखने एवं अस्वस्थ पशु से कार्य ना कराने का उत्तर दायित्व पूर्णतः पशु मालिक का होगा एवं यदि ऐसा किया जाता है तो संबंधित पशु मालिक के विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

जिला प्रशासन की ओर से तीर्थयात्रियों से आग्रह किया गया है कि वे डंडी-कंडी के साथ पालकी का सहारा लें। साथ ही पशु संचालकों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे अपने पशुओं का संचालन ना करें। ऐसा करने पर उनके विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि पशुओं की मृत्यु को रोकने और इसकी जांच के लेकर भारत सरकार से वैज्ञानिकों का एक दल आज रुद्रप्रयाग पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि रोक हटाने संबंधी निर्णय जांच रिपोर्ट आने के बाद ही लिया जाएगा

केदारनाथ यात्रा के दौरान घोड़े खच्चरों का संचालन बेहद अहम पहलू होता है। हजारों यात्री घोड़े खच्चरों के जरिए केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। अगर अक्वाइन इंफ्लिएंजा फैलता है तो इससे यात्रा मार्ग पर घोड़ खच्चर संचालन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इससे घोड़ा खच्चर संचालकों की आजीविका पर भी असर पड़ेगा। पशुपालन विभाग ने 4 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच लगभग 16,000 घोड़े-खच्चरों की स्क्रीनिंग की और स्क्रीनिंग में नेगेटिव आने के पश्चात ही घोड़े खच्चरों को यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी थी।

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