हॉकी का स्वर्णिम दौर लौटा! टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद जीता मेडल
रैबार डेस्क: भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर लौट रहा है! कम से कम पिछले 8 10 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो यही नजर आता है। गुरुवार को टोक्यो से करोड़ों हॉकी प्रेमियों के लिए खुशखबरी आई। भारतीय पुरुष हॉकी ओलंपिक में ब्रांज मेडल (India wins bronze in hockey) जीतकर इतिहास रच दिया। भारतीय टीम ने ओलंपिक मेडल टैली में41 साल का सूखा खत्म किया।
कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में जर्मनी और भारत मे कांटे की टक्कर दिखी। 3-1 से पिछड़ने के बाद दूसरे क्वार्टर में भारतीय टीम ने जबरदस्त वापसी की। तभी लग गया था कि भारतीय टीम इतिहास रचने की दहलीज पर है। लेकिन जर्मनी ने पलटवार किया और चौथे क्वार्टर में एक और गोल करके स्कोर को 5-4 कर दिया। अंतिम 30 सेकेंड भी जर्मनी के पक्ष में रहे और उन्हें पेनल्टी कॉर्नर मिल गया। यदि ये गोल होता तो पेनाल्टी शूटआउट से फैसला तय होता। अब सारी नजरें टीम इंडिया की दीवार गोलकीपर पी आर श्रीजेश पर टिकी थी।
अंतिम 15 सेकेंड में जैसे ही श्रीजेश ने पेनल्टी कॉर्नर का शानदार ढंग से बचाव किया, करोडों हॉकीप्रेमी खुशी से झूम उठे। कप्तान मनप्रीत सिंह की आंखे खुशी से छलक उठी। सभी खिलाड़ी झूम उठे। भारत ने नया इतिहास लिख दिया था। 1980 ओलंपिक में भारत ने गोल्ड मेडल जीता था। तब से ओलंपिक हॉकी में हमारी मेडल टैली खाली थी। लेकिन टोक्यो में 41 साल बाद ये सपना भी पूरा हुआ।
एक वक्त वो भी था जब हमारी टीम 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर पाई थी। तब अखबारों की हेडिंग थी कि भारतीय हॉकी खत्म हो चुकी है। इसके बाद 2012 के लंदन ओलंपिक में भी हम ग्रुप के सभी 5 मैच हारकर बाहर हो गए। लेकिन इसके बाद जो कमबैक हुआ वो ऐतिहासिक है। 2016 के रियो ओलंपिक में भारतीय टीम हावी होकर खेली। हालांकि क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम के हाथों हार मिली और फिर से मेडल का सपना चकनचूर हो गया।
कोविड की वजह से ओलंपिक एक साल पीछे हुए तो हॉकी टीम को तैयारियों को परखने का समय मिला। हमारी दोनों टीमों ने इस बार जबरदस्त खेल दिखाया है। पूल स्टेज में हम केवल ऑस्ट्रेलिया से हारे। कवर्टरफाइनल में ब्रिटेन को हराया। सेमीफाइनल में बेल्जियम को परेशान किया लेकिन बेल्जियम केवल पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने पर रहा। जबकि हमने विशुद्ध हॉकी खेली। खैर हमें ब्रॉन्ज मेडल मैच खेलने का मौका मिला और उसे भुनाते हुए हमने इतिहास रचा। अब सारा ध्यान महिला हॉकी टीम पर है। उम्मीद है महिला हॉकी टीम भी पहली बार ओलंपिक में मेडल जीतने में कामयाब होगी।