2024-05-03

जोशीमठ: दरारें बढ़ने पर भी सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट नहीं हुए लोग, सरकारी आदेश की प्रतियां जलाई

joshimath people burng govt order annoying for not shifting in safe place

रैबार डेस्क: आपदा प्रभावित जोशीमठ में दरारों के कारण पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त भवनों में रहने वाले परिवारों को तो राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन कुछ परिवार अब भी खतरे के बीच रहने को मजबूर हैं। आपदा प्रभावितों ने सरकार की ओर से घोषित राहत पुनर्वास नीति को प्रभावितों के साथ मजाक बताया। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन में प्रभावितों ने सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। Joshimath people burnt govt order angry for not shifting in safer place despite heavy cracks

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि हमने पूरे जोशीमठ को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की मांग की थी। साथ ही हमारी मांग के अनुसार मुआवजा काफी कम है। व्यावसायिक भवनों का तो बिलकुल कम मुआवजा है। प्रभावितों के भूमि के मुआवजे के लिए अभी तक सरकार की ओर से शासनादेश तक जारी नहीं किया गया है।

दरारों वाले मकानों में लोग अभी रहने को मजबूर हैं, उन्हें शिफ्ट नही किया गया है। असल में सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने कहा था कि कुछ भवनों में बहुत कम दरारें थी, इसके चलते प्रशासन ने इनमें रहने वाले परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट नहीं किया। अब इन भवनों में भी दरारें चौड़ी हो रही हैं। भवनों के चारों ओर भूधंसाव होने से इनमें रह रहे परिवारों पर दोहरा खतरा मंडरा रहा है। सिंहधार वार्ड में पिछले दिनों पुश्ते में दरार आने के कारण क्षतिग्रस्त हुआ मोटर मार्ग अब तक नहीं खुल पाया है। इस मार्ग पर भूधंसाव बढ़ता ही जा रहा है। मार्ग में कुछ नए स्थानों पर भी दरारें आई हैं, जिससे टाइल उखड़ रही हैं।

181 भवन खतरनाक श्रेणी में

जोशीमठ में दरारों के कारण 868 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है। इनमें से 181 भवन खतरनाक श्रेणी में हैं। नगर के गांधीनगर वार्ड में दरारों के कारण 156 भवन रहने लायक नहीं हैं।

प्रशासन का कहना है कि असुरक्षित भवनों में रह रहे सभी लोगों को सुरक्षित जगहो पर शिफ्ट किया जाएगा। प्रभारी डीएम ललित मिक्षा के अनुसार लोगों को अगर किसी घर में दरारें बढ़ रही हैं या उसमें रहने वाले असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो जल्द ही तहसील प्रशासन की तकनीकी टीम की ओर से प्रभावितों के मकानों का सर्वे कराया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर प्रभावितों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया जाएगा।

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