2024-04-29

पहाड़ की मातृशक्ति को सलाम कीजिए, मदमहेश्वर में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए महिलाओं ने चंद घंटों में बना दिया हेलीपैड

village women makes tempoeary helipad for rescue

रैबार डेस्क:  उत्तराखंड की महिलाएं खासतौर से पहाड़ों में विषम परिस्थितियों में जीवन जीती हैं। हमारी मातृशक्ति किसी भी परेशानी से घबराती नहीं बल्कि उस चुनौती को पार पाती हैं। और जब बात आपदा की हो, तो सबकुछ छोड़कर लोगों की मदद के लिए हरदम आगे रहती हैं। रुद्रप्रयाग की ऊखीमठ तहसील से एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसे देखकर आप भी करेंगे, पहाड़ की मातृशक्ति को बार बार नमन। दरअसल मदमहेश्वर घाटी में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए हेली सर्विस की जरूरत पड़ी, लेकिन यहां हेलीपैड नहीं थी। फिर गौंडार गांव की महिलाएं दिनभर अस्थाई हेलीपैड बनाने में जुट गई और लोगों का रेस्क्यू सफल हो पाया।

13 अगस्त को मद्महेश्वर पैदल मार्ग में बनतोली पैदल पुल बह गया था, जिससे करीब 300 यात्री औरस्थानीय लोग फंस गए थे। इस मार्ग पर गौंडार सबसे मुख्य पड़ाव है, गौंडार के ग्रामीणों को जैसे ही पता चला वे मदद के लिए दौड़ पड़े। यात्रियों को लाने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजे जाने लगे। रेस्क्यू के लिए हेलिकॉप्टर की भी व्यवस्था हो गई, लेकिन परेशानी ये थी कि हेलिकॉप्टर लैंड कहां करेगा?  प्रशासन ने चॉपर उतरने के लिए जगह तलाशी लेकिन वहा हेलिपैड नहीं था। बस फिर क्या था, गौंडार गांव की महिलाएं सबकुछ छोड़कर नानू खर्क में अस्थाई हैलीपैड बनाने में जुट गई। महिलाओं के साथ युवा भी हाथ में कुदाल, गैंती, फावड़ा लेकर दौड़ पड़े। शाम होते होते कुछ घंटों में अस्थाई हेलीपैड बनकर तैयार हो गया। गौंडार की सरोज देवी, कुंवरी देवी, शिव देई, शिवानी देवी, प्रीति देवी ने राय सिंह, सुंदर सिंह सहित बड़ी संख्या में युवाओं के साथ मिलकर अस्थाई हैलीपैड बनाने में सहयोग दिया।

इस अस्थाई हेलीपैड की बदौलत ही  190 यात्रियों को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया जा सका। बाकी 103 यात्रियों को रस्सी के सहारे नदी के पार कराया गया औऱ सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।

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