पहाड़ की बेटी सविता को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, पिता ने ग्रहण किया दिवंगत बेटी का सम्मान तो छलक उठी लोगों की आंखें
रैबार डेस्क : एडवेंचर खेलों में उत्तराखंड का नाम रोशन करनेवाली उत्तरकाशी की बेटी सविता कंसवाल को मरणोपरांत तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 दिया गया। सविता के पिताजी राधेश्याम कंसवाल ने ये पुरस्कार ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जिस वक्त सविता के पिताजी को सम्मानित कर रही थी,तभी वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आई।
अशोक हॉल में अवार्ड ग्रहण करने के लिए सविता की मां कमलेश्वरी देवी भी पहुंची थीं। भावुकता और गर्व के अहसास के साथ सविता के पिताजी ने राष्ट्रपति से यह पुरस्कार ग्रहण किया। पुरस्कार पाते ही मां कमलेश्वरी देवी की आंखें छलक उठी उनके साथ बैठे अन्य लोग भी भावुक हो उठे।
उत्तरकाशी, भटवाड़ी तहसील के लौंथरू गांव की सविता कंसवाल ने 12 मई 2022 को माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) फतह किया था। इसके 16 दिन बाद 28 मई को माउंट मकालू पर्वत (8,463) मीटर पर सफल आरोहण किया था।16 दिन के अंतराल में माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू का आरोहण करने वाली सविता देश की पहली महिला थीं। इससे पहले सविता ने 2 जून 2021 में विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (8,516 मीटर) भी फतह किया था।
द्रौपदी का डांडा बना काल
पहाड़ की डेयरडेविल बेटीच के लिए 4 अक्टूबर 2022 का दिन काल साबित हुआ, जब उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा चोटी के आरोहण के दौरान 29 सदस्यीय पर्वतारोही का दल एवलांच की चपेट में आ गया था। जिसमें सविता कंसवाल की भी बर्फ में दबकर मौत हो गई थी। यह एवलांच पर्वतारोहण के इतिहास में काला दिन माना जाता है।
संघर्षों में बीता सविता का जीवन
सविता को मरणोपरांत तेनजिंग नॉरजे पुरस्कार मिलने पर क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि छोटे से गांव की सविता कंसवाल ने उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम ऊंचा किया है। सविता का बचपन कठिनाइयों में गुजरा। सविता के पिता घर का गुजारा करने के लिए पंडिताई का काम करते हैं। सविता चार बेटियों में सबसे छोटी थी, अन्य तीन बहनों की शादी हो चुकी हैं। किसी तरह पैसे जुटाकर सविता ने साल 2013 में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग यानी निम उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग में बेसिक और फिर एडवांस कोर्स किया। इसके लिए उसने देहरादून में नौकरी भी की।