21 जुलाई को मिलेगा देश को नया राष्ट्रपति, 18 जुलाई को वोटिंग होगी, जानिए दिलचस्प गणित
रैबार डेस्क: 21 जुलाई को देश को अगला राष्ट्रपति मिल जाएगा। चुनाव आयोग ने राषट्रपति चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रपति पद के लिए सांसद औऱ देशभर के विधायक 18 जुलाई को वोट डालेंगे। 21 जुलाई को वोटों की गिनती होगी। (Presidential election in india on 18 July) इसी दिन नए राष्ट्रपति का चयन हो जाएगा। 15 जून से 29 जून तक राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 24 जुलाई को अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। उसके बाद नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाई जाएगी।
राष्ट्रपति चुनाव में आम जनता वोट नहीं डालती लेकिन जनता द्वारा चुने गए लोकसभा सांसद, विधायक और राज्यसभा सांसद औऱ एमएलसी के सदस्य मतदान करते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने वाले निर्वाचन मंडल में UPA गठबंधन के पास 23 फीसदी के करीब वोट है जबकि NDA गठबंधन के पास लगभग 49 फीसदी वोट हैं।
ऐसे तय होती है वोट वैल्यू
आमतौर पर चुनाव में एक व्यक्ति के वोट की कीमत एक ही होती है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जनसंख्या के हिसाब से एक वोट की वैल्यू तय होती है।
हर राज्य के वोटों की कीमत में अंतर
मतदाता सूची में हर सांसद और विधायक के वोट की ताकत अलग-अलग होती है. इसके साथ ही हर राज्य के सांसद और विधायक के वोटों की कीमत में भी अंतर होता है. सांसद या विधायक के वोट की कीमत उसके राज्य की 1971 की आबादी के हिसाब से तय किया जाता है
एक विधायक के वोट की कीमत का निर्धारण-
1971 में विधायक के राज्य की आबादी/ राज्य के विधायकों की संख्या x
1000
उत्तराखंड में एक विधायक के वोट की वैल्यू 64 आंकी गई है।
एक सांसद के वोट की कीमत का निर्धारण-
राज्य के विधायकों के वोटों का कुल मूल्य / 776 (सांसदों की संख्या) से होता है.
इस बार सभी 776 सांसदों की वोट वैल्यू 5 लाख 43 हजार 200 आंकी गई है। जबकि सभी राज्यों के 4033 विधानपरिषद सदस्यों की वोट वैल्यू 5 लाख 43 हजार 231 आंकी गई है। इस तरह कुल वोट वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 है।
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 5.49 लाख वोटों की जरूरत होती है।
2017 के चुनाव में एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 थी। सांसदों के मत का मूल्य कम होने के पीछे का कारण जम्मू-कश्मीर में विधान सभा का गठन नहीं होना है। राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है।
मनोनीत सदस्य नहीं दे सकते वोट
वैसे तो राज्यसभा में सदस्य संख्या 245 होती है, लेकिन 12 मनोनीत सदस्य इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते। उसी तरह लोकसभा में भी 2 मनोनीत एंग्लो इंडियन सदस्य इस चुनाव में शिरकत नहीं कर पाते।