2024-05-02

सतर्कता, सफाई और सहयोग: कोरोना की रोकथाम में पहाड़ का ये गांव बना मिसाल, नहीं हो पाई कोविड की एंट्री

Sarasu village corona prevention management

रैबार डेस्क: कोरोना (corona in hills) की दूसरी लहर से शहर से लेकर गांव तक पस्त हैं। संक्रमण रोकने में सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं, तो लोगों की लापरवाही भी भारी पड़ रही है। लेकिन पौड़ी गढ़वाल का एक ऐसा जागरुक गांव है, जहां के लोगों ने तमाम सावधानियां बरतते हुए कोविड गाइडलाइन का पालन किया, और अपने गांव को कोरोना मुक्त रखने में सफलता हासिल की। कोविड काल मे कल्जीखाल ब्लॉक की सरासू ग्राम sarasu village pauri garhwal पंचायत जनजागृति और कोरोना रोकथाम में उत्तम उदाहरण पेश कर रही है।

पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक में कोरोना गांवों में पैर पसार रहा है। लोग बाहर अस बिना जांच और सावधानी के गांवों में आ रहे हैं। प्रॉपर देखरेख और मोनिटरिंग के इंतजाम नहीं हैं। बुखार की शिकायतें आम हैं। असवालस्यूं पट्टी के नगर, भट्टगांव, सिरों जैसे गांवों में कोरोना संक्रमण के 36 मामले आये हैं। लेकिन इसी क्षेत्र का एक गांव है, सरासू। जो सावधानी और सतर्कता से खुद को कोरोना मुक्त रखे हुए है। सरासू के ग्राम प्रधान ने ग्रामीणों के सहयोग से सरकार की हर गाइडलाइन का अक्षरसः पालन किया, लोगों को जागरुक किया। ग्राम प्रधान शैलेन्द्र असवाल बताते हैं कि गांव को कोरोना मुक्त रखने में ग्रामीणों का भरपूर सहयोग मिला। गांव में बाहर से आने वाले प्रवासियों ने भी उनकी बातों को समझा और सहयोग दिया। सरासू ग्राम पंचायत की आबादी 450 है। गांव में आने वाले एक एक व्यक्ति की सारी जानकारी प्रधान के पास होती है।

बाहरी व्यक्ति को नो एंट्री
प्रधान शैलेंद्र असवाल बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर के बाद से ही लोग जागरुक थे।लिहाजा इस बार भी ये तय किया गया कि गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति की बिना वजह एंट्री नहीं होगी। बाहर से आने वाले गांव के लोगों को भी सीधे एंट्री नहीं दी जा रही है। उनको आधा किलोमीटर दूर पंचायत घर और प्राइमरी स्कूल में ठहराया जाता है। सभी के नाम कॉन्टेक्ट नम्बर आदि की जानकारी का डेटा बनाया जाता है।

ग्रामीणों के सहयोग से उत्तम व्यवस्थाएं

पंचायत घर और स्कूल ठहरने वाले सभी लोगों को ये अहसास नहीं होने दिया जाता कि वे आइसोलेशन में घर से दूर रह रहे हैं। आइसोलेशन में रहने वालों के लिए रहने खाने की उचित व्यवस्था की जाती है। गांव की महिलाएं उनके लिए खुद भोजन तैयार करती हैं। जो भी व्यक्ति शहरों से गांव में आता है उसे प्रधान को सूचित करना होता है। अनुमति के बिना कोई भी अपने घर मे नहीं घुस पाता।

सेनेटाइजेशन की आदर्श व्यवस्था

पिछले वर्ष ग्राम प्रधान द्वारा गांव को सेनेटाइज करने की वयवस्था थी, उसे आज भी लागू किया जा रहा है। हर हफ्ते गांव में सेनेटाइजेशन होता है। घरों, रास्तों, पंचायत भवन, स्कूल सभी जगह साफ सफाई के साथ सेनेटाइजेशन का छिड़काव भी होता है। युवाओं द्वारा लोगों को बार बार हाथ सेनेटाइज कराए जाते हैं। लोगों को मास्क पहनने को प्रेरित करते हैं।

घरों से नहीं निकलते ग्रामीण

गांव के लोग सजग हैं। दूसरों से संक्रमण न फैले इसलिए ग्रामीण खुद भी बेवजह बाहर नहीं निकलते। ग्राम प्रधान प्रत्येक घर से जरूरी समान कि सूची बनाता है। 4,5 दिन के अंतराल पर कुछ युवा गांव के वाहन से सारा सामान लाते हैं। उसे एक दिन पंचायत घर मे रखने के बाद ही ग्रामीणों में बांटते हैं।

वैक्सीनेशन की जागरुकता

ग्राम प्रधान शौलेंद्र बताते हैं कि लोगों को वैक्सीनेशन के फायदे के बारे में जागरुक किया गया। गांव में 45 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है।

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