2024-04-27

पहाड़ की निर्भया को नहीं मिला सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ, शीर्ष अदालत ने किरन नेगी के तीनों दरिंदों को किया बरी

SC Acquits all 3 culprits of kiran negi gangrape and murder case

रैबार डेस्क : निर्भया केस से भी भीषण दरिंदगी का शिकार हुईपहाड़ की बेटी किरन नेगी को इंसाफ नहीं मिल सका है। किरन नेगी गैंगरेप औऱ मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। supreme court acquits three culprits jailed in kiran negi gangrape and murder case) लोअर कोर्ट औऱ हाईकोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी, सुप्रीम कोर्ट में 2014 से मामला लंबित था, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने 10 सेकेंड के भीतर फैसला सुनाकर दोषियों को बरी कर दिया।

आपको बता दें कि 9 फरवरी 2012 को दिल्ली के छावला इलाके में रहने वाली पौड़ी गढ़वाल की किरन नेगी दफ्तर से घर लौट रही थी। इसी दौरान तीन हैवानों, राहुल, रवि और विनोद ने लड़की को अगवा कर लिया। इसके बाद उन हैवानों ने उस लड़की के साथ जो किया वह किसी का भी कलेजा चीर देगा। बेटी के न मिलने पर परिवार वालों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की और तलाशी शुरू की गई। काफी खोजबीन के बाद पुलिस को लड़की की लाश हरियाणा के रेवाड़ी में बहुत बुरी हालत में पाई गई। बाद में जांच में पता चला कि उसे काफी यातनाएं दी गई थीं। जांच में पता चला कि लड़की के साथ गैंगरेप करने के अलावा आरोपियों ने उसके शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा था। लड़की के चेहरे और आंखों पर तेजाब डाला गया था। उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा गया था।

2012 में लोअर कोर्ट ने दरिदों को फांसी की सजा सुना दी थी, जिसे 2014 में हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था, लेकिन तीनों दरिंदे फैसले के किलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे, तभी से ये केस लंबित था। जस्टिस यूयू ललित और एस रवींद्र भट्ट और बेला एम त्रिवेदी ने इस मामले पर 6 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की थी। दरिदों के पक्ष की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि दोषियों में से एक जिसका नाम विनोद है वह बौद्धिक अक्षमता से पीड़ित है। उसके सोचने विचारने की शक्ति ठीक नहीं है। दोषियों की तरफ से पेश वकील ने इनके खिलाफ सहानुभूति भरा रवैया अपनाने का आग्रह किया था।

आझ ही रिटायर हो रहे जस्टिस यू यू ललित के पास ये केस पहुंचा, उन्होंने सहयोगी जजों से इस पर सुनवाई के लिए कहा और महज 10 सेकेंड के भीतर इस केस के आरोपी तीनों दरिदों को बरी कर दिया। अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले से किरन की मां बेहद आहत नजर आई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी न्याय की आस तोड़ दी है, अब किसी पर भरोसा नहीं रहा।

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