2024-04-26

विधानसभा के हटाए गए तदर्थ कार्मिकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, शीर्ष अदालत ने डबल बेंच का फैसला बरकरार रखा

SC Rejects plea of vidhansabha adhock employees

रैबार डेस्क:  उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्ती हुए 228 कार्मिकों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। 2016 से 2022 के बीच बैकडोर से भर्ती किए गए कार्मिकों को स्पीकर रितु खंडूड़ी ने नौकरी से हटा दिया था, जिस पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भी मुहर लगाई थी। इस फैसले के खिलाफ कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। (supreme court rejects plea of ad-hock employees of uttarakhand vidhansabha) सुप्रीम कोर्ट ने उकी याचिका खारिज करते हुए स्पीकर और डबल बेंच के फैसले को सही ठहराया है।

दरअसल 2016 से 2021 के बीच पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवार और गोविंद सिंह कुंजवाल के समय विधानसभा में नियमों को ताक पर रखकर 250 लोगों की अवैध भर्तियां की गई थी। मामला तूल पकड़न पर स्पीकर ने जांच बिठाई ती और पाया कि नियुक्तियों में नियमों का पालन नहीं किया गया है। इस आधार पर स्पीकर ने 228 तदर्थ कार्मिकों और 22 उपनल कार्मिकों को हटा दिया था। लेकिन स्पीकर के फैसले को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में चुनौती दी गई थी। सिंगल बेंच ने स्पीकर के फैसले पर स्टे लगा दिया था, लेकिनव डबल बेंच ने स्पीकर के फैसले को सही ठहराया था।

डबल बेंच के फैसले के खिलाफ निकाले गए कार्मिक सुप्रीम कोर्ट गए थे।गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई जिसमें शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए तदर्थ कर्मियों की याचिका को खारिज कर दिया। तदर्थ कर्मियों की ओर से वकील विमल पटवालिया ने कोर्ट में पेश याचिका पेश की। न्यायाधीश संजीव खन्ना व सुंदरेश ने मात्र 2 मिनट में ही याचिका को खारिज कर दिया। विधानसभा सचिवालय की ओर से वकील अमित तिवारी ने पैरवी की। इस पूरे मामले में भारत सरकार में सालिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कई पहलुओं पर सटीक राय दी। सुप्रीम कोर्ट के आज के इस फैसले के बाद 228 तदर्थ कर्मियों को गहरा झटका लगा है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए स्पीकर ऋतु खंडूडी ने कहा कि उन्होंने तदर्थ कर्मियों के मामले में किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर निर्णय नहीं लिया था। वे सिर्फ न्याय के सिद्धांत पर चल रही थी। और कोटिया कमेटी ने एक एक पहलु पर विचार करके ही रिपोर्ट बनाई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न्याय की जीत बताया।

विधानसभा भर्ती घोटाला, कब क्या हुआ

– जुलाई 2022- यूकेएसएसएसी की भर्तियों के पेपर लीक की घटनाओं के साथ ही सोशल मीडिया में विधानसभा भर्तियों का मुद्दा उठना शुरू हुआ।

– अगस्त 2022- सोशल मीडिया में विधानसभा में हुई भर्तियों की सूची वायरल हुई, जिस पर पूर्व विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के बयान के बाद विवाद गहरा गया।

– 28 अगस्त 2022- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष से भर्तियों की जांच का अनुरोध किया। यह भी कहा कि सरकार की जहां आवश्यकता हो, सहयोग दिया जाएगा।

– 29 अगस्त 2022- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा, हां मैने अपने बेटे और बहू को नौकरी पर लगाया।

– 3 सितंबर 2022- विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया।

22 सितंबर- जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्पीकर रितु खंडूड़ी ने ने 250 भर्तियां रद्द कर दी।

– 15 अक्टूबर- नैनीताल हाईकोर्ट ने नियुक्तियां रद्द करने के स्पीकर के फैसले पर रोक लगा दी।

-सिंगल बेंच के स्टे के खिलाफ विधानसभा सचिवालय ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील की थी

-24 नवंबर को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को खारिज कर दिया और स्पीकर के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें बैकडोर से भर्ती 250 कार्मिकों को नौकरी से निकाला गया था।

– डबल बेंच के फैसले को कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

-15 दिसंबर- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए डबल बेंच के फैसले को बरकरार रखा।

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