जय जवान जय किसान के नारे को सार्थक कर रहा यह शख्स, रिटायर्ड फौजी का इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल बना चर्चा का विषय

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जय जवान जय किसान, शंकर सिंह भैंसोड़ा को सलाम
रिटायर्ड फौजी ने तैयार किया इंटीग्रेटेड फार्मिंर्ग मॉडल
अपने साथ 250 परिवारों को रोजगार से जोड़ा
पिथौरागढ़: सीमांत जनपद पिथौरागढ़ (Pithoragarh) के थल क्षेत्र में बलतिर गांव है। यहां सुबह 4 बजे से ही खेतों औऱ बगीचों में चहल पहल शुरू हो जाती है। अभी सूर्य भी नहीं उगता कि, सेना से रिटायर्ड (ex-serviceman) एक व्यक्ति गायों की देखरेख, पौधों की खाद पानी देने और मछलियों को दाना डालने में जुट जाता है। थोड़ी देर बाद फोन घनघनाने लगता है, फलानी जगह डिलीवरी चाहिए, आज इतने लोग मिलने आ रहे हैं। इसी तरह की दिनचर्या है बलतिर गांव के 60 वर्षीय के शंकर सिंह भैंसोड़ा (Shankar Singh Bhainsoda) की। पहले सेना में रहते हुए मातृभूमि की सेवा की, अब अपनी माटी की सेवा करके #AtmanirbharBharat का सपना साकार कर रहे हैं। जोश और जुनून ऐसा कि युवा भी फीके पड़ जाएं। शंकर सिंह का एक हजार नाली पर तैयार किया इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल (Integrated Farming Model) आज चर्चा का विषय बना है।

शंकर सिंह भैंसोड़ा ने अपने गांव में 50 साल से बंजर पड़ी जमीन का सदुपयोग किया। उन्होंने वहां पर एक नजार नाली में शानदार बगीचा तैयार किया है। शंकर सिंह बगीचे में फल-फूल उत्पादन, सब्जी उत्पादन नकदी फसलों के अलावा मछलीपालन, पशुपालन का काम भी कर रहे हैं। उनके इस इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल को देखने दूरस्थ क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग उनके यहां आते हैं। लोग शंकर सिंह से खेती बाड़ी के टिप्स लेकर भी जाते हैं।शंकरसिंह ने 17 साल आसाम राइफल्स में देशसेवा की है। वह जब भी छुट्टी घर आते तो बंजर पड़ी जमीन उनको सालती थी। वे लोगों से कहते थे कि बंजर जमीन को आबाद करो। लेकिन रिटायर होन के बाद शंकर सिंह ने खुद ये बीड़ा उठाया। रिटायरमेंट के बाद सबसे पहले उन्होंने बंजर भूमि पर पौधरोपण किया। उन्होंने एक साथ 4 हजार फलदार पौधे रोपे हैं।

शंकर सिंह ने बगीचे में सब्जी उत्पादन काकाम भी शुरू किया। साथ ही नकदी फसलों की खेती भी जारी रखी। शंकर सिंह ने पास में ही मछली पालन के लि एतालाब बनावाया। गौशाला भी साथ में चला रहे हैं जिसमें 10 गायें हैं। शंकर सिंह ने इस काम में हाथ बंटाने के लिए पहले तो अपने पड़ोसियों को साथ जोड़ा। धीरे धीरे का बढ़ता ही गया। आज शंकर सिंह के साथ बलतिर और आस पास के गावों के 250 से ज्यादा परिवार रोजगार से जुड़े हैं।

भैसोड़ा के बगीचे में रंग बिरंगे फूलों की वैरायटी हैं। इसमें डच लिली, ओरिएंटल लिली, पाइजर लीली, ग्लाइड, रजनीगंधा, गेंदा सहित फूलों की कई किस्में हैं। भैसोड़ा शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों में लोगों को निशुल्क फूल दे रहे हैं। उनको फूलों की डिमांड दिल्ली, मुंबई सहित कई महानगरों से मिल रहे हैं। पूर्व सैनिक शंकर सिंह भैंसोड़ा इस फार्मिंग मॉडल से हर साल चार से पांच लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं। जो भी इस मॉडल के बारे मे सुनता है उसकी तारीफ करते नही थकता।

शंकर सिंह न सिर्फ लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण, नशामुक्ति के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। वे अभिभावकों से कहते हैं कि अपने बच्चों पर नजर रखें, उन्हें बुरी संगत से बचाएं। उनकी दिनचर्या सुधारें। नशे की प्रवृत्ति से बचाएं। शंकर सिंह का युवाओं के लिए सीधा सा मंत्र है कि नशे से दूर रहो और स्वरोजगार अपनाओ। अपनी धरती मां की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं।