कोरोना के कारण फल और फूलों से खेली गई पारंपरिक पत्थर बग्वाल, देखें वीडियो
चम्पावत: रक्षाबंधन बीत चुका है। लेकिन देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे कई अद्भुत त्योहार, किस्से कहानियां हैं जो लंबे समय तक छाप छोड़ती हैं। प्रदेश के चंपावत जिले के देवीघधुरा पाटी में वाराही देवी के मंदिर में भी रक्षाबंधन के दिन ऐसा ही अद्भुत उत्सव मनाया जाता है। हालांकि कोरोना केकारण इस बार उत्सव क चमक थोड़ी फीकी रही, फिर भी प्रशासन की देखरेख में लोगों ने 5 मिनट तक पत्थऱ बग्वाल पर्व को मनाया।
सोमवार को देवीधुरा में चार खामों के बीच आस्था की बग्वाल खेली गई। रक्षाबंधन के मौके पर मां बाराही के मैदान में चम्याल खाम, वालीक खाम, गहरवाल खाम, लमगड़िया खाम के बीच बग्वाल खेली गई. हालांकि चार खामों के मुखिया और प्रशासन के बीच कोरोना की वजह से सिर्फ सांकेतिक बग्वाल खेलने पर सहमति बनी थी। उसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग देवीधुरा पहुंच
कोरोना के कारण मात्र 5 मिनट खेली गई बग्वाल
रक्षाबंधन के दिन देवीधुरा में बग्वाल मेले के दौरान दोनों पक्षों के योद्धाओं ने पांच मिनट तक एक-दूसरे पर फल और फूल बरसाए। खोलीखांड दूबचौड़ मैदान में चार खाम और सात थोकों के रणबांकुरों ने मां के जयकारे के साथ मैदान की परिक्रमा की। पुजारी का आदेश मिलते ही 11.25 बजे दोनों ओर से फल और फूल फेंके जाने लगे। 11:30 बजे पुजारी ने शंखनाद कर बग्वाल रोकने का आदेश दिया। इस दौरान अंतिम क्षणों में दोनों तरफ से आंशिक रूप से पत्थर भी चले। हालांकि इस बार बग्वाल में दोनों पक्षों की ओर से कोई भी योद्धा घायल नहीं हुआ।
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