2024-05-04

इस युवा के पुरुषार्थ ने सैकड़ों ग्रामीणों के चेहरे पर बिखेरी मुस्कान, 5 दशक बाद गांव तक सड़क पहुंचने पर झूम उठे लोग

पिथौरागढ़: सपने तो सभी देखते हैं, लेकिन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा पार करनी होती है। और जब पसीने से सींचा पेड़ फल देता है तो उसका स्वाद कुछ अलग ही होता है। पिथौरागढ़ के टुंडा चौड़ा ग्राम पंचायत के लोगों के चेहरे पर भी आज एक सुखद मुस्कान दिख रही है। दरअसल यहाँ आजादी के 70 साल बाद अब जाकर सड़क पहुंची है। यह सड़क स्वयं के परिश्रम और एक युवा की संकल्प शक्ति का नतीजा है, जो दशरथ मांझी की तरह अपने मिशन में दिन रात एक करके जुटा रहा। गांव में सड़क बनने और पहली बार वाहन पहुंचने पर लोगों में खासा उत्साह है।

अब आपको पूरी कहानी बताते हैं। यह प्रकरण रियल जिंदगी के हीरो गोविंद सिंह बिष्ट के संकल्प पर केंद्रित है।  पिथौरागढ के गंगोलीहाट क्षेत्र में एक दूरस्थ गाव है, टुंडा चौड़ा, जो मुख्य बाजार से 18 किलोमीटर और ग्रामीण बाजार कंडाराछीना से 3 किलोमीटर दूर है। कभी यहां किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे अस्पताल पहुंचाने से ज्यादा परेशानी सड़क तक पहुंचाने में आती थी। स्कूली बच्चों को भी दुर्गम रास्तों से ही स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। टुंडा चौड़ा गांव के गोविंद सिंह बिष्ट पहाड़ की ऐसी मुश्किल जिंदगी का दर्द भली भांति समझते हैं। शहरों में नौकरी भी कर ली। बड़े बड़े मीडिया संस्थानों में वीडियो जर्नलिस्ट रह चुके हैं। लेकिन दिल में गांव के लिए कुछ करने की टींस उन्हें कचोटती रही। यही वजह है कि 17 साल शहरों में रहने के बाद गोविंद सिंह ने पिछले साल गांव लौटने का मन बनाया। वे बदलाव लाने के लिए प्रधान का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में उनकी पत्नी आगे आई और प्रधानी का चुनाव लड़ा। जीत भी मिल गई। लेकिन संघर्ष की कहानी अब शुरू हुई।

टुंडा चौड़ा के गोविंद सिंह व उनकी पत्नी मनीषा

पत्नी के प्रधान बनते ही गोविंद सिंह ने गांव को संवारने का बीड़ा उठाया। गांव में चाल खाल निर्नेमाण, रास्तों की मरम्मत, बिजली के खंभों को बदलना, पानी की व्यवस्था आदि काम शुरू किए गए। लेकिन अब भी सबसे बडा़ मिशन बाकी था। संकल्प लिया कि चाहे कुछ भी हो गांव तक सड़क लाकर ही रहेंगे, प्रशासन से गुहार लगा कर थक चुके ग्रामीणों में जोश भरने के लिए गोविंद ने प्रयास किए। खुद ही अपनी पत्नी औऱ चार अन्य लोगों के साथ गैंती फावड़ा लेकर सड़क खोदने चल पड़े…जंगल, पहाड़, झाड़ी साफ करते हुए सड़क का निर्माण होता गया। इससे स्थानीय लोगों में भी उम्मीद जगी। ग्राम सभा इटाना, ग्राम सभा दुगई आगर, व ग्राम सभा खेती के लोग भी इस मुहिम में शामिल हो गए। गोविंद ने संकल्प दिखाया और अब क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, युवा, महिलाएं, सब के सब इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में जुट गए। 17 दिन तक अथक परिश्रम के बाद कठोर पहाड़ो को काटने के लिए जेसीबी की जरूरत महसूस हुई। सरकार ने संज्ञान लिया और प्रशासन के जरिए एक जेसीबी निर्माण कार्य मे लगा दिया। स्थानीय समाजसेवी राम सिंह बिष्ट स्थानीय विधायक मीना गंगोला राजेंद्र ने भी एक अन्य जेसीबी काम में लगवाया।  एक जेसीबी सरकार की ओर से था, जबकि दूसरे जेसीबी का करीब 2 लाख रुपए का खर्चा टुंडा चौड़ा, दुगई आगर के ग्रामीणों ने स्वयं उठाया।

आज ग्राम सभा टुण्डाचौडा के साथ ग्रामसभा दुगई आगर और ग्राम सभा इटाना तक सड़क निर्माण हो चुका है। आज इस सड़क निर्माण पूरा होने के बाद ग्रामसभा टुण्डाचौडा तक वाहनों का आवागमन शुरू हो गया है आजादी के बाद विकास की बाट जो है इन ग्राम सभाओं मैं आज दीपावली जैसा माहौल है। चार पीढ़ियों से सड़क की मांग उठ रहै ग्रामीण आज खुशी से फूले नहीं समा रहे। यह सब सम्भव हुआ ग्राम प्रधान मनीषा और उनके पति गोविंद सिंह की जिद से। इन दोनों ने सैकड़ों लोगों के आंचल में एक कभी न भूलने वाली खुशियां भर दी हैं।

टुंडा चौड़ा गांव तक सड़क पहुंच जाने के बाद अब आसपास के गांवों के हजारो लोगों को राहत मिलेगी। बीमार को अस्पताल पहुंचाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। यहां के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा।

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