2024-04-23

ग्रामीणों ने श्रमदान से बना डाली करीब 2 किमी सड़क, रिवर्स माइग्रेशन कर चुके युवा ने जगाई चेतना

रैबार ब्यूरो:   फिल्म मांझी द माउंटेन मैन का किरदार दशरथ मांझी आप सभी को अच्छी तरह याद होगा। एक व्यक्ति जिद करता है कि वो पहाड़ खोदकर सड़क बनाएगा औऱ इस काम में सफल भी हो जाता है। कुछ इसी तरह की कहानी आजकल पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ क्षेत्र गंगोलीहाट में चरितार्थ हो रही है। यहां शहरों की नौकरी छोड़कर गांव आए एक युवा ने गांव तक सड़क पहुंचाने की जिद क्या पकड़ी, सड़क निर्माण का कार्य अब स्थानीय लोगों के लिए एक मिशन बन चुका है।

पिथौरागढ के गंगोलीहाट क्षेत्र में एक दूरस्थ गाव है, टुंडा चौड़ा, जो मुख्य बाजार से 18 किलोमीटर और ग्रामीण बाजार कंडाराछीना से 3 किलोमीटर दूर है। कभी यहां किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे अस्पताल पहुंचाने से ज्यादा परेशानी सड़क तक पहुंचाने में आती थी। स्कूली बच्चों को भी दुर्गम रास्तों से ही स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। टुंडा चौड़ा गांव के गोविंद सिंह बिष्ट पहाड़ की ऐसी मुश्किल जिंदगी का दर्द भली भांति समझते हैं। शहरों में नौकरी भी कर ली। बड़े बड़े मीडिया संस्थानों में वीडियो जर्नलिस्ट रह चुके हैं। लेकिन दिल में गांव के लिए कुछ करने की टींस उन्हें कचोटती रही। यही वजह है कि 17 साल शहरों में रहने के बाद गोविंद सिंह ने पिछले साल गांव लौटने का मन बनाया। वे बदलाव लाने के लिए प्रधान का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में उनकी पत्नी आगे आई और प्रधानी का चुनाव लड़ा। जीत भी मिल गई। लेकिन संघर्ष की कहानी अब शुरू हुई।

पत्नी के प्रधान बनते ही गोविंद सिंह ने गांव को संवारने का बीड़ा उठाया। गांव में चाल खाल निर्नेमाण, रास्तों की मरम्मत, बिजली के खंभों को बदलना, पानी की व्यवस्था आदि काम शुरू किए गए। लेकिन अब भी सबसे बडा़ मिशन बाकी था। संकल्प लिया कि चाहे कुछ भी हो गांव तक सड़क लाकर ही रहेंगे, प्रसासन से गुहार लगा कर थख चुके ग्रामीणों में जोश भरने के लिए गोविंद ने प्रयास किए। खुद ही अपनी पत्नी औऱ चार अन्य लोगों के साथ गैंती फावड़ा लेकर सड़क खोदने चल पड़े…जंगल, पहाड़, झाड़ी साफ करते हुए सड़क का निर्माण होता गया। 10 दिन तक अथक मेहनत की, कुछ अन्य लोगों का भी साथ मिलने लगा। और 10 दिन में करीब एक किलोमीटर सड़क गांव की तरफ से बाजार की दिशा में काट दी गई।

यह चर्चा आम हो गई तो इससे स्थानीय लोगों में भी उम्मीद जगी…11 दिन बाद ग्राम सभा इटाना, ग्राम सभा दुगई आगर, व ग्राम सभा खेती के लोग भी इस मुहिम में शामिल हो गए। अब सड़क निर्माण का यह कार्य एक मिशन बन गया। गोविंद ने संकल्प दिखाया और अब क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, युवा, महिलाएं, सब के सब इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में जुट गए हैं। तय हुआ कि अब कंडारा छीना मार्केट की ओर से सड़क निर्माण शुरू किय जाए। लोग बढ़ते गए और कांरवा भी बढ़ निकला, करीब करीब एक किलोमीटर सड़क का निर्माण कंडाराछीना की ओर से भी हो गया है। इस तरह गोविंद सिंह की प्रेरणा से 15 दिनों में ग्रामीणों ने श्रमदान से करीब करीब 2 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली है। अभी भी एक किलोमीटर से अधिक पर कार्य शेष है लेकिन ग्रामीणों के बुलंद हौसलो के सामने यह लक्ष्य छोटा ही प्रतीत होता है। गोविंद सिंह बताते है कि शनिवार को सड़क की खुदाई के लिए जेसीबी मशीन मिल गई है। इस कार्य में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का सहयोग मिला है। उनके मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने जिला प्रशासन से बात कर सड़क निर्माण हेतु जेसीबी दिलवााई है।

उत्तराखंड रैबार से बात करते हुए गोविंद सिंह ने बताया… इस सड़क के लिए हमारे आस पास के गांवों के लोग कई साल से मांग करते आ रहे थे, गांव लौटने के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री जी को भी इस बात के लिए पत्र लिखा था, जिस पर उन्होंने आवश्यक सर्वे और कार्य करने के लिए शासन को कहा था। लेकिन प्रसासन की कार्यप्रणाली इतनी सुसित है कि फरवरी में भेजा गया पत्र अब जाकर प्राप्त हुआ है। खैर हमने श्रमदान से सड़क निर्माण का जो फैसला लिया था उसे अब व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है, इस बात का संतोष है

गोविंद सिंह बताते हैं कि सड़क निर्माण का कार्य रोज सुबह 5 बजे से 9 बजे तक ही होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 9 बजे के बाद लोगों को अपने अपने रोजगार के लिए काम पर जाना होता है। गोविंद सिंह के बाल अब काफी लंबे हो गए हैं, इसका राज बताते हुए उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पत्नी से वादा किया है कि जिस दिन सड़क निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा, उसी दिन ये बाल कटवाऊंगा।

टुंडा चौड़ा गांव तक सड़क पहुंच जाने के बाद अब आसपास के गांवों के हजारो लोगों को राहत मिलेगी। बीमार को अस्पताल पहुंचाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। यहा के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा।

एक नेक मिशन के लिए गोविंद सिंह के नेतृत्व में श्रमदान के लिए जुटे सभी ग्रामीणों को उत्तराखंड रैबार सलाम करता है।

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