2024-05-05

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड,जानिए NEP की खास बातें

Uttarakhand launched new education policy

रैबार डेस्क: उत्तराखंड नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। (uttarakhand became first state to launch national educational policy) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘बाल वाटिका कक्षा’ का शुभारम्भ करने के साथ प्राथमिक स्तर तक नई शिक्षा नीति लागू की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय भवन का लोकार्पण एवं एस.सी.ई.आर.टी भवन का शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि इस क्षेत्र के जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हो रही है, उनकी मरम्मत की जायेगी। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत बाल वाटिका के शुभारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगी। यह शिक्षा नीति भारतीय सनातन ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गई है, जो प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष जोर देती है।


शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं स्कूलों में आज से बालवाटिका का शुभारम्भ किया गया है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्पराओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। योग, वेद, पुराणों, स्थानीय बोलियों एवं संस्कृत आधारित शिक्षा पर इसके तहत विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में जो पढ़ाई नर्सरी में होती थी, अब वही पढ़ाई आंगनबाड़ी एवं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दी जायेगी।

क्या हैं नई शिक्षा नीति की विशेषताएं

  • 5+3+3+4 का फार्मूला
    नई शिक्षा नीति में 3+3+4 का फार्मूला अपनाया गया है। पहले 5 साल में 2 साल प्री प्राइमरी स्कूलिंग होगी जिसमें नर्सरी की तर्ज पर बालवाटिकाओं का कॉन्सेप्ट लागू किया गया है। इसके अलावा पहली, दूसरी कक्षा का फाउंडेशन स्टेज का पाठ्यक्रम होगा।
    अगले 3 साल कक्षा 3 से 5 की तैयारी की जाएगी।
    अगले 3 साल छठवीं से 8वीं तक की पढ़ाई होगी। उसके बाद के 3 साल 9 से 11वीं तक कि पढ़ाई होगी।

नई शिक्षा नीति में अब 12वीं के बोर्ड एग्जाम की बजाय, 4 साल का डिग्री कोर्स होगा। इसमें 12वीं की पढ़ाई भी शामिल है।

रोजगार और तकनीक पर जोर
बच्चों को प्राइमरी स्तर से ही रोजगार परख शिक्षा दी जाएगी, ताकि स्कूल छोड़ने के बाद वे आसानी से अपना करियर चुन सकें।

परंपरा, ज्ञान, विज्ञान
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पारंपरिक शिक्षा पर आधारित होगी। इसमें वेद, पुराण, शास्त्रों का ज्ञान तो शामिल होगा ही,
नई तकनीक और विज्ञान के दृष्टिकोण भी बच्चों को सिखाये जाएंगे।
पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान है।

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