2024-05-04

पूरे पहाड़ में फैला जोशीमठ जैसी त्रासदी का डर, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, पिथौरागढ़ में दरारों से दहशत में लोग

cracks and land sinking seen everywhere in hill areas

रैबार डेस्क:  बड़ी परियोजनाओं और अयंत्रित विकास के साइड इफेक्ट समूचे पहाड़ में दिखने लगे हैं। जोशीमठ में भू धंसाव की त्रासदी विकराल होती जा रही है। 600 से ज्यादा परिवारों पर संकट है। जोशीमठ के अस्तित्व पर गंभीर खतरा है। अभी सरकार जोशीमठ त्रासदी से निपट भी नहीं सकी कि, पिथौरागढ़, नैनीताल, उत्तरकाशी और टिहरी जैसे पहाड़ी इलाकों में खेतों में दरारों से खौफ और बढ़ गया है। यहा के लोग भी अब पुनर्वास के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। apart from joshimath land sinking case seen in nainital, pithoragarh, uttarkashi and tehri

टिहरी में ऑल वेदर रोड और कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहा है, लेकिन इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रह है। नरेंद्रनगर ब्लॉक के अटाली गांव में खेतों में बड़ी बडी दरारें दिखने लगी हैं जिससे लोग दहशत में हैं। खेतों में डेढ़ फुट तक चौड़ी दरारें बन गई हैं। लोगों की मानें तो रेल लाइन के निर्माण कार्यों की वजह से ये दरारें आई हैं। ऐसा ही हाल उत्तरकाशी में है। यहां के मस्ताड़ी गांव में भूधंसाव और घरों के अंदर पानी निकलने से जोशीमठ जैसी घटना की आशंका से ग्रामीणों के हाथ-पांव फूल गए हैं। ग्रामीणों ने गांव में हो रहे भूधंसाव व घरों के अंदर से निकल रहे पानी के बारे में बताया और आशंका जाहिर की कि जोशीमठ जैसी हालत कहीं मस्ताड़ी में भी न हो जाए। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से समय रहते मस्ताड़ी गांव की सुध लेने की मांग की, ताकि आपदा जैसी स्थिति से बचा जा सके। लोगों का कहना है कि 1991 के भूकंप से यहां का धरातल कमजोर हुआ है, बावजूद इसके अनियंत्रित विकास हो रहा जिससे ये हालात बन गए हैं।

कुमाऊं का भी कुछ ऐसा ही हाल है। पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में लगातार जमीन धंस रही है। मानसून में ये स्थिति बनी थी जो अब और बढ़ रही है। यहां के 8 परिवार खतरे की जद में हैं।  स्थानीय लोग कह रहे है कि प्रशासन को बार बार इसकी जानकारी दी जाती है लेकिन ठोस उपाय नहीं किएगए हैं।

उधर नैनीताल में भी प्राकृतिक हलचल का खतरा बना हुआ है। बलियानाला में भारी भू-स्खलन से 100 मीटर से अधिक का क्षेत्रफल पूरी तरह समाप्त हो गया। नैनीताल की मालरोड, भवाली मार्ग व स्टेनले क्षेत्र में कई स्थानों पर 20 मीटर तक लंबी दरारें उभरी हैं। भू-वैज्ञानिकों ने नैनीताल में दर्जनभर स्पॉट ऐसे चिह्नित किए जहां लगातार जमीन धंस रही है। कैलाखा,ताकुला, मालरोड, राजभवन मार्ग,बिड़ला मार्ग, कालाढूंगी मार्ग में खुर्पाताल, चायनापीक, डॉर्थी सीट, निहाल राजभवन जैसी जगहों पर भी सड़कों में दरारें हैं। लेकिन दरारों के ट्रीमटमेंट में लेटलतीफी शायद जोशीमठ जैसी त्रासदी को न्योता दे रही है।

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