उत्तराखंड में ब्लैक फंगस की दस्तक, ऋषिकेश एम्स में 2 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि
रैबार डेस्क: उत्तराखंड में कोरोना (corona) की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस (black fungus uttarakhand) का खतरा भी मंडराने लगा है। ऋषिकेश एम्स (Aiims rishikesh) में ब्लैक फंगस के दो मामले सामने आए हैं। यहां इलाज कराने आये दोनों मरीज उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। एम्स के निदेशक प्रो. रविकांत ने दोनों मरीजों में ब्लैक फंगस के संक्रमण की पुष्टि की है।
एम्स में उपचार करा रहे दोनों मरीज कोरोना संक्रमित हैं। ये मेरठ से ऋषिकेश एम्स आये थे, जहां टेस्ट के दौरान इनमें ब्लैक फंगस के लक्षण नजर आए, जिसके बाद चिकित्सकों ने आवश्यक जांच और परीक्षण के पश्चात दोनों मरीजों में ब्लैक फंगस होने की पुष्टि की है।
राजधानी के अन्य असप्तालों में भी ब्लैक फंगस के केस आये हैं। महंत इंदिरेश अस्पताल और मैक्स अस्पताल में ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज सामने आये है। इंद्रेश अस्पताल में ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज की कन्फर्म रिपोर्ट अभी नहीं आई है लेकिन मरीज में ब्लैक फंगस जैसे लक्षण दिख रहे हैं। यह मरीज अस्पताल में आंखों में समस्या होने का इलाज कराने आया था जिस पर ब्लैक फंगस होने का भी संदेह जताया है। डॉक्टरों ने लक्षणों के आधार पर मरीज की जांच कराई है।
इससे पहले 14 मई को मैक्स हॉस्पिटल में भी एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल प्रसाद ने इसकी पुष्टि की है। शनिवार देर रात मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोरोना की समीक्षा के दौरान सभी अधिकारियों को आगाह किया था। सीएम ने कोरोना की तीसरी सम्भावित लहर से निपटने के लिए तैयार रहने तथा ब्लैक फंगस के इलाज के लिए भी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए थे।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस यानि म्यूकर माइकोसिस शरीर में बहुत तेजी से फैलने वाला एक तरह का फंगल इंफेक्शन है।
यह फंगल इंफेक्शन मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है।
इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी चली जाती है।
वहीं, कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है।
समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।