विकास की भेंट चढ़ा गौरा देवी का स्मारक, गौरा की मूर्ति की विदाई पर भावुक हुए ग्रामीण
रैबार डेस्क: उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण की प्रतीक गौरा देवी का स्मारक (Gaura Devi Memorial) भी विकास की भेंट चढ़ गया है। जोशीमठ मलारी हाइवे निर्माण के दौरान गौरा देवी के स्मारक को ध्वस्त कर दिया गया है। चिपको आंदोलन (Chipko movement) की नेत्री गौरा की प्रतिमा की विदाई पर ग्रामीण भावुक हो उठे और उनकी आंखें छलक उठी।
दरअसल 14 जून को भारी बारिश के चलते रैणी गांव के निचले हिस्से में जोशीमठ-मलारी हाईवे का करीब 40 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। रैणी गांव में कई भवन भी भूस्खलन की जद में आ गए हैं। हाईवे निर्माण के लिए गांव के निचले हिस्से में बीआरओ ने हिल कटिंग कार्य शुरू किया। इस दौरान चिपको आंदोलन की नेत्री गौरा देवी का स्मारक भी इसकी जद में आ गया। ग्रामीणों ने इस ओर कड़ा एतराज जताया।
तीन दिनों तक बीआरओ और प्रशासनिक अधिकारी रैणी गांव के ग्रामीणों समझाते रहे। स्थानीय विधायक महेंद्र भट्ट भी ग्रामीणों को समझाने पहुंचे। ग्रामीणों को पुनर्वास और मुआवजा देने के साथ ये भरोसा दिया गया कि रैणी गांव में ही सुरक्षित जगह पर गौरा देवी का भव्य स्मारक बनेगा। इसके बाद ग्रामीण माने तो सड़क कटिंग का काम शुरू हो सका।
लेकिन शाम को रैणी का माहौल भावुक हो उठा। जैसे ही स्मारक से गौरा देवी की प्रतिमा हटाई जाने लगी, ग्रामीण भावुक हो गए। बुजुर्ग महिलाओं की आंखें छलक उठी। स्थानीय लोगों के अनुसार गौरा की प्रतिमा का हटना किसी आपदा से कम नहीं है। स्मारक से गौरा देवी की प्रतिमा को निकालकर गांव में सुरक्षित स्थान पर रख दिया है। विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि गौरा देवी की प्रतिमा को फिर से गांव में स्थापित किया जाएगा। ग्रामीणों की ओर से चयनित भूमि पर गौरा देवी का भव्य स्मारक विधायक निधि से बनाया जाएगा।