2024-04-18

चमोली व पिथौरागढ़ में जल्द बनेंगे भालू रेस्क्यू सेंटर, हरेला पर जंगलों में लगाए जाएंगे एक करोड़ फलदार वृक्ष

cm inaugurates e-office system of forest department

देहरादून: जगली जानवरों से फसलों और मानव जीवन की सुरक्षा के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने घोषणा की है कि पिथौरागढ़ व चमोली में जल्द ही भालू रेस्क्यू सेंटर (Bear Rescue Centre) बनाए जाएंगे। अगले वर्ष हरेला पर्व पर जंगलों में एक करोड़ फलदार वृक्ष लगदाए जाने का भी लक्ष्य है जिससे जंगली जानवर भोजन की पूर्ति के लिए आबादी वाले क्षेत्रों में न आने पाएं। सीएम त्रिवेंद्र वन विभाग के ई-ऑफिस का उद्घायन के अवसर पर ये घोषणा की।


सीएम ने कहा कि जल्द ही चमोली व पिथौरागढ़ में भालुओं के लिए एक-एक रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा । बंदरों से फसलों व फलों की सुरक्षा के लिए भी राज्य में जल्द ही चार रेस्क्यू सेंटर बनाए जाने प्रस्तावित हैं। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। अगर जल्द ही ये धरातल पर उतरी तो पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों को भालू, सुअर, बंदर के आंतक से निजात मिल सकेगी। फसलों की भी सुरक्षा हो सकेगी। आए दिन पहाड़ में भालू, गुलदार के हमलों की खबरें आती हैं, जिनने जान का बड़ा नुकसान होता है।

उत्तराखंड वन विभाग मुख्यालय में ई-ऑफिस कार्यप्रणाली का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-ऑफिस प्रणाली को जल्द ही जिला एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में भी विस्तारित किया जाय। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया की जो शुरूआत की उसके बेहतर परिणाम आज सबके सम्मुख हैं। राज्य में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। 37 ऑफिस, ई-ऑफिस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। डिजिटल कार्यप्रणाली की ओर हम जितने तेजी से बढ़ेंगे, उतनी तेजी से जन समस्याओं का निदान होगा।

इस अवसर पर सीएम ने झाझरा में ‘आनंद वन’ सिटी फॉरेस्ट विकसित करने के लिए श्रीमती साधना जयराज को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार वृक्ष लगाये जाएंगे। इसके लिए वन विभाग द्वारा अभी से तैयारियां शुरू की जाय। ये फलदार वृक्ष जंगलों में भी लगाये जायेंगे, जिससे जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में कम आयेंगे। जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता जंगलों में पूरी हो सके। राज्य में पिरूल पर जो कार्य हो रहा है, इसे और विस्तार देने की जरूरत है। पिरूल एकत्रीकरण पर राज्य सरकार द्वारा 02 रूपये प्रति किग्रा एवं विकासकर्ता द्वारा 1.5 रूपये प्रति किग्रा एकत्रकर्ता को दिया जा रहा है। इसका उपयोग ऊर्जा के लिए तो किया ही जायेगा, लेकिन इसका सबसे फायदा वन विभाग को होगा। वनाग्नि और जंगली जानवरों की क्षति को रोकने में यह नीति बहुत कारगर साबित होगी। स्थानीय स्तर पर गरीबों के लिए स्वरोजगार के लिए पिरूल एकत्रीकरण का कार्य एक अच्छा माध्यम बन रहा है।

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