2024-05-17
CM Tirath resigns

रैबार डेस्क: तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के सीएम पद (CM Tirath Singh Rawat Resigns) से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली से लौटने के बाद तीरथ रात 11.10 बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को अपना इस्तीफा सौंपा। संवैधानिक संकट के कारण चार महीने से कम समय मे तीरथ को पद छोड़ना पड़ा। इससे पहले तीरथ ने सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई। बीजेपी ने शनिवार को 3 बजे विधायक दल की बैठक बुलाई है जिसमें नया सीएम चुना जाएगा।

इस्तीफा देने के बाद पूर्व सीएम तीरथ ने कहा की संवैधानिक संकट के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा। तीरथ ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास जताकर इस पद पर पहुंचाया। सीएम तीरथ ने कहा कि सल्ट उपचुनाव के समय कोविड पॉजिटिव हो गए थे इसलिए चुनाव नहीं लड़ पाए।

दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद देहरादून लौटे तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय गए और रात 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान तीरथ सिंह रावत ने कोविड के हालात का जिक्र करते हुए कहा की कोविड से कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा। लेकिन उनकी सरकार ने कोरोना से प्रभावित हर क्षेत्र के लोगों को हरसंभव मदद पहुंचाई। कुल मिलाकर 2000 करोड़ की मदद पहुंचाई। सरकार ने बड़े पैमाने पर नियुक्तियों को खोला है। अगले 6 महीने में विभिन्न विभागों में 20 हजार पदों पर नियुक्तियां की जानी थी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीरथ ने इस्तीफे पर कुछ नहीं कहा लेकिन वहां से वो बीजापुर गेस्ट हाउस में सेफ हाउस गए। थोड़ी देर बाद तीरथ राजभवन गए और करीब सवा 11 बजे राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। तीरथ राज्य के पहले सीएम रहे जिन्हें संवैधानिक संकट के चलते पद छोड़ना पड़ा।

दरअसल तीरथ सिंह रावत के सामने ये संवैधानिक संकट चुनाव को लेकर खड़ा हुआ। तीरथ रावत गढ़वाल लोकसभा से सांसद हैं। उन्होंने 10 मार्च को सीएम पद की शपथ ली थी। इस लिहाज से उन्हें 6 महीने के भीतर यानी सितंबर से पहले विधायक चुना जाना जरूरी था। सामान्य स्थितियों में ये सम्भव है। लेकिन जन जन प्रतिनिधित्व एक्ट की धारा 151 के तहत अगर चुनाव में एक साल से कम समय बचा हो तो चुनाव आयोग उपचुनाव कराने के लिए बाध्य नहीं है। कोविड संकट के कारण चुनाव आयोग उपचुनाव के मूड में नहीं है। ऐसे में तीरथ सिंह रावत को विधायक चुने जाने का मौका ही नहीं मिला। यही संवैधानिक संकट तीरथ के गले की फांस बन गया।

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